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गंगानगर में किसान संगठन आठ सितंबर को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे

श्रीगंगानगर, 01 सितंबर(वार्ता) राजस्थान में सबसे उपजाऊ माने जाने वाले श्रीगंगानगर में जिले के चार किसान संगठन किसानों की समस्याओं को लेकर आठ सितम्बर को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे।
ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएस), अखिल भारतीय किसान सभा, किसान संघर्ष समिति और टिब्बा क्षेत्र संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज श्रीगंगानगर में बैठक करने के बाद पत्रकारों काे बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय उनकी मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आठ सितंबर को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा। कलेक्ट्रेट के समीप महाराजा गंगासिंह चौक में जिले भर के किसान घेराव में शामिल होंगे।
पंचायती धर्मशाला में आज दोपहर प्रेस वार्ता में जीकेएस के संयोजक रणजीत सिंह राजू एवं प्रवक्ता सतवीरसिंह मोहनपुरा, अखिल भारतीय किसान सभा की राष्ट्रीय कौंसिल के सदस्य श्योपतराम मेघवाल, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष अमरसिंह बिश्नोई, टिब्बा क्षेत्र संघर्ष समिति के संयोजक राकेश बिश्नोई, बार संघ के अध्यक्ष विजय रिवाड़ और पूर्व पार्षद मनिंदरसिंह मान ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कोरोना महामारी की आड़ में किसानों को राहत देने की बजाए तीन ऐसे अध्यादेश ले आई है, जो किसान और किसानी ही नहीं बल्कि परंपरागत कृषि उपज मंडियों के स्वरूप को ही खत्म कर देंगे। कोराना संकट काल के कल जारी जीडीपी और विकास दर के तिमाही नतीजों से स्पष्ट हो गया है कि एक मात्र कृषि क्षेत्र ही ऐसा है, जिसने अर्थव्यवस्था को काफी हद तक संभाला, बाकी सभी क्षेत्रों में गिरावट आई है। इसके बावजूद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कृषि को खत्म करने पर तुली है। इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने जून में लाए गए तीनों अध्यादेश वापस लिए जाने की मांग करते हुए किसान नेताओं ने प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को भी खूब आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश के किसानों से वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो उनके लिए बिजली की दरों में वृद्धि नहीं की जाएगी। अशोक गहलोत की अगुवाई में सत्ता में आने पर कांग्रेस ने बेशक कृषि दरों में वृद्धि नहीं की, लेकिन पिछले 10 महीनों से किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी पर अघोषित रोक लगा रखी है। यह अप्रत्यक्ष कृषि के लिए बिजली की दरें बढ़ाने के समान है।
सेठी सुनील
वार्ता
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