Saturday, Apr 20 2024 | Time 03:12 Hrs(IST)
image
राज्य » राजस्थान


गांधी सागर बांध में पर्याप्त पानी से हाड़ोती के किसानों को राहत

कोटा, 05 सितंबर (वार्ता) चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध सहित नदी पर बने सभी बांधों के लबालब होने से राजस्थान में हाड़ोती क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई हैं।
जलग्रहण क्षेत्र से पानी की आवक थमने के बाद गांधी सागर बांध सहित चंबल नदी पर बने चारों बांध भर चुके हैं और इनसे पानी की निकासी भी रोक दी गई है जो हाडोती के किसानों के लिए बड़ी राहत है।
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बना सबसे बड़ा एवं 1312 फुट की भराव क्षमता वाले गांधी सागर बांध का जल स्तर अभी 1306 फ़ुट के आसपास है। हालांकि उसकी कुल क्षमता से करीब छह फुट कम है लेकिन बांध की सुरक्षा के मद्देनजर इतना ही जल स्तर बनाए रखा जाता है और जल ग्रहण क्षेत्र से पानी की आवक अधिक होने पर इससे अधिक जल स्तर होने की स्थिति में बांध के गेट खोल कर पानी की निकासी करनी पड़ती है। इस बार गुजरात और मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में अगस्त के अंतिम पखवाड़े और सितंबर के शुरू में अच्छी बरसात होने के कारण इस बांध के 16 गेट खोल कर करीब साढे पांच लाख क्यूसेक पानी की निकासी करनी पड़ी। बांध के गेट खोले जाने के कारण हुए पानी की निकासी के लिए डाउनस्ट्रीम में बने राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज के भी गेट खोलकर पानी छोड़ना पड़ा जिसके कारण राजस्थान के सवाईमाधोपुर, धौलपुर एवं भरतपुर जिलों में भी प्रशासन को अलर्ट करना पड़ा। लेकिन अब स्थिति सामान्य है।
इसके अलावा 1157.05 फुट क्षमता के चित्तौड़गढ़ जिले के राणा प्रताप सागर की 1156 फुट, 980 फुट क्षमता के जवाहर सागर (कोटा डैम) की 972 फुट और 854 फुट की भराव क्षमता के कोटा बैराज की 851 फुट से कुछ अधिक जल स्तर रखा गया है।
मध्य प्रदेश में स्थित गांधी सागर बांध में इस बार उसकी भराव क्षमता के अनुरूप पानी आने के कारण न केवल राजस्थान के कोटा संभाग के कोटा, बूंदी और बारां जिलों बल्कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर संभाग की किसानों में हर्ष का माहौल है क्योंकि इन सभी जिलों में नहरी सिंचित क्षेत्र में सिंचाई की उपलब्धता गांधी सागर बांध में जलभराव की स्थिति पर ही निर्भर करती है क्योंकि जिन वर्षों में जब भी गांधी सागर बांध में जलभराव 1300 फुट से नीचे पहुंचा है तो सरकार और प्रशासन की प्राथमिकताएं बदल जाती है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाने के बजाय कोटा जैसे राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर को पीने का पानी उपलब्ध कराना प्रमुख प्राथमिकता बन जाती है।
हाडोती अंचल के तीनों जिलों और मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग के नहरी सिंचित क्षेत्र की किसानों के लिए गांधी सागर बांध का भराव क्षमता के अनुरूप बढ़ना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यदि प्राकृतिक आपदा के चलते अगले दो-तीन साल तक अच्छी बरसात नहीं हो तो भी किसानों को नहरों से मिलने वाले पानी में कटौती नहीं होगी और किसानों को रबी और खरीफ की फसल की बुआई के लिए पर्याप्त पानी मिलता रहेगा।
चंबल नदी पर कोटा शहर में बने कोटा बैराज से निकली दाई और बाई मुख्य नहरों से राजस्थान के बूंदी जिले में बाई मुख्य नहर से 1.2 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई होती है जबकि दाई मुख्य नहर से कोटा, बूंदी, बारां जिलों में 1.2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई होती है। चंबल नदी में सिंचाई और पेयजल के लिए डाउन स्ट्रीम में पानी के मुख्य स्रोत गांधी सागर बांध के निर्माण के समय राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच हुए अंतर राज्य जल समझौते के तहत यह फैसला किया गया था कि कोटा बैराज की दाईं मुख्य नहर से सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी में आधा हिस्सा राजस्थान का जबकि आधा मध्यप्रदेश का होगा जिससे ग्वालियर संभाग में सिंचाई होगी।
हर साल खरीफ के कृषि क्षेत्र में हाड़ौती अंचल के किसान करीब नौ लाख हेक्टेयर से भी अधिक कृषि भूमि में ज्वार, बाजरा, मक्का धान, उड़द, दिल्ली, मूंगफली आदि की बुवाई करते हैं।
हाड़ा जोरा
वार्ता
image