राज्य » राजस्थानPosted at: Sep 24 2020 4:22PM हजारों मील का सफर तय कर कुरजां पक्षी लूणकरणसर पहुंचेश्रीगंगानगर 24 सितंबर (वार्ता) राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में अभी सर्दियों का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं होने के बावजूद ठंड़े देशों रूस आदि से हजारों मील का सफर तय कर कुरजां पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। श्रीगंगानगर-बीकानेर नेशनल हाईवे 62 पर बीकानेर जिले में लूणकरणसर में कृत्रिम ताल (झील) पर आज सुबह कुरजां पक्षियों का पहला दल दिखाई दिया। इन पक्षियों की चहचहाहट और अठखेलियों से पक्षी प्रेमी उमड़ आए। इन्हें देख कर उनके के चेहरे खिल उठे। प्रत्येक वर्ष ठंडे देशों में जब कड़ाके की शीत लहर और तापमान का पारा जमाव बिंदु से काफी नीचे चले जान कुरजां (गरुस वीरागो) हजारों मील का सफर करत एशिया के कम ठंडे इलाकों में अस्थाई प्रवास के लिए पहुंचने लगते हैं। राज्य के बीकानेर जिले के लूणकरणसर के अलावा श्रीकोलायत और गजनेर में मीठे पानी की प्राकृतिक झीलों के आसपास तथा जोधपुर तथा फलोदी इलाके में झीलों के किनारे इनके के झुंड के झुंड सर्दियों में आने लगते हैं। लूणकरणसर में सामाजिक संस्था टाइगर फोर्स के संयोजक महिपालसिंह राठौड़ ने बताया कि अभी सर्दियां शुरू नहीं हुई हैं। इलाके में गर्मी और उमस का वातावरण है।फिर भी हजारों मील का सफर तय कर कुरजां पक्षियों का एक बड़ा दल आज सुबह लूणकरणसर के नजदीक खारे पानी की कृत्रिम झील पर पहुंचा। इसे देखने के लिए लूणकरनसर और आसपास के गांवों- कस्बों से पक्षी प्रेमी भी उमड़ने लगे हैं। यह पक्षी सुबह सवेरे उड़ जाते हैं, लेकिन शाम को वापस इसी झील पर डेरा डालते हैं।आगामी मार्च माह में बसंत ऋतु आने तक यह सिलसिला चलेगा। जैसे ही गर्मी पड़ने लगेगी, यह पक्षी हजारों मिल सफर तय कर वापिस ठंडे देशों को लौट जाएंगे। कुरजां राजस्थान की संस्कृति में रचा बसा पक्षी है। इसे लेकर इस मरू प्रदेश में अनेक कि किवदंतियां, लोक कथाएं और लोकगीत प्रचलित हैं। अनिश्चितता रहती थी कि न जाने कब प्रदेश गए लोग लौटेंगे। जब सूरज की किरणे शीतल होने लगती हैं। गांव के तालाब पर कुरजां के आगमन की सुगबुगाहट होने लगती है। अपने साजन की विरह वेदना में विकल होती सजनी कुरजां से साजन का संदेश लाने को कहती है, क्योंकि वह जानती है कि कुरजां हजारों कोसों दूर से आते हैं।सेठी रामसिंहवार्ता