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कोरोना जागरूकता अभियान में आंकड़े छुपाने पर प्रभारी मंत्री हुए हैरान

श्रीगंगानगर, 05 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान में कोरोना संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू किए जागरूकता अभियान में श्रीगंगानगर जिला प्रशासन द्वारा कोरोना रोगियों और इससे मृतकों की संख्या छुपाने का पता चलने पर आज ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बुलाकीदास कल्ला मीडिया के सामने हैरान-परेशान हो गए।
श्रीगंगानगर जिले के प्रभारी मंत्री नियुक्त होने के बाद पहली बार आए डॉ. बी डी कल्ला ने सुबह श्रीगंगानगर के गोल बाजार में कोरोना जागरूकता अभियान की समारोह पूर्वक शुरुआत के बाद जिला कलेक्ट्रेट में अधिकारियों के साथ जिले की समीक्षा की। तत्पश्चात जिला कांग्रेस कार्यालय मोती पैलेस में आयोजित प्रेस वार्ता में जब पत्रकारों ने बताया कि 15 दिनों से जिला प्रशासन, विशेषकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना संक्रमितों और मृतकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही। लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि उनका पड़ोस का व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो गया है। दूसरी तरफ सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर जागरूकता अभियान चला रही है कि लोग सावधानी बरतें। मास्क पहने और सैनिटाइजर का उपयोग करते सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
पत्रकारों ने कहा कि इस जागरूकता अभियान का फिर औचित्य क्या है, जब लोगों को यही पता नहीं चले कि कौन संक्रमित है और किस व्यक्ति की कैसे मौत हुई है? इस पर प्रभारी मंत्री डॉ. कल्ला से कोई जवाब नहीं देते बना। उन्होंने हैरानी जताते कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है। सरकार इस अभियान को लेकर पूरी पारदर्शिता बरत रही है। डॉ. कल्ला ने कहा कि वह इस बारे में जल्दी ही उच्च अधिकारियों से बातचीत कर आवश्यक निर्देश जारी करवाएंगे। कोरोना के बारे में लोगों को जानकारी होना बेहद आवश्यक है। प्
डा़ कल्ला को पत्रकारों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 दिन से फर्जी आंकड़े जारी किए जा रहे हैं। यह आंकड़े अपडेट नहीं है। इसमें लगभग एक हजार कोरोना रोगियों का डाटा गायब है। जिले में मृतकों की संख्या करीब 30 हो चुकी है जबकि विभाग 17 ही बता रहा है। पूर्व में विभाग द्वारा विस्तृत जानकारी दी जाती थी कि किस गली, मोहल्ले, वार्ड गांव या कस्बे में कौन संक्रमित हुआ है। इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। मीडिया कर्मियों ने यह भी अवगत करवाया की मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में कोरोना टेस्ट सैंपल लेने का कलेक्शन सेंटर बनाया गया है। क्वालिफाइड डॉक्टर द्वारा रेफर किए लोगों के भी इस सेंटर पर टेस्ट सैंपल लेने में आनाकानी की जाती है। कर्मचारी यह कहकर टरका देते हैं कि टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है। सरकार का एक टेस्ट पर नौ हजार रुपये खर्च होते हैं। डॉ. कल्ला ने कहा कि इस बारे में अगर किसी ने शिकायत प्रशासन को की है तो उस पर अवश्य ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सेठी सुनील
वार्ता
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