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किसान आंदोलन के समर्थन में राजगोपाल पहुंचे अलवर

अलवर 21 दिसम्बर (वार्ता) देशभर में शांति और समानता के लिए आंदोलन चला रहे एकता परिषद संस्थापक पी वी राजगोपाल आज किसानों के आंदोलन के समर्थन में अलवर पहुंचे।
अलवर पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उन्होंने अलवर जिला कलेक्टर से बात की और किसानों की समस्याओं एवं जमीन से जुड़े मामलों को लेकर उन्होंने अपने सुझाव दिए साथ ही जमीनों के जुड़े मामलों को निपटाने की मांग की ताकि किसानों को राहत मिल सके।
इसके बाद श्री राजगोपाल ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने आज कलेक्टर से बात की और कहा कि अदालतों में जितने भी केस आज तक लंबित है उनमें 60 प्रतिशत जमीन से जुड़े हुए मामले हैं। अगर जमीनों से जुड़े हुए मामलों को निपटाने की यही रफ्तार चलती रही तो इन मामलों को निपटाने में ही 250 साल लग जाएंगे जब तक किसान या पीड़ित जीवित नहीं बचेगा और उनके साथ न्याय की अवधारणा सफल नहीं होगी। किसानों से जुड़ी जमीन हो या आदिवासियों से जुडी जमीन हो पानी की समस्या हो यह निपटाना बहुत जरूरी है क्योंकि सरकार के पास मात्र पांच प्रतिशत नौकरियां हो सकती हैं लेकिन 95 प्रतिशत लोग जमीन से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने बताया कि जमीनों से जुड़े हुए मामले का शीघ्र निपटारा नहीं होने के कारण यह देश को चलाने का तरीका नहीं हैं। किसानों के हित की बात होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देश में अब तक जितने भी कानून बने हैं सब किसानों की पीठ पर थोपे गए हैं क्योंकि यह भारत देश किसानों का है लेकिन सरकार नाम की चीज इतना बड़ा बोझ है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। सरकार को चलाने के लिए बड़ी अफसरशाही होती है नौकर चाकर होते हैं, गाड़ी बंगले होते हैं। इन सबका भारी वजन किसान और गरीब के कंधों पर ही जाता है।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में आई वैश्विक महामारी कोरोना ने बता दिया कि वर्तमान में भारत में चल रहा आर्थिक ढांचा बेकार है। इससे देश बर्बादी के कगार पर ही होगा क्योंकि हम कितने खोखले हैं इस महामारी ने बता दिया, क्योंकि हमारे पास आर्थिक ढांचा बिल्कुल भी दुरुस्त नहीं है।
उन्होंने बताया कि उनकी यह रैली छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से शुरू की थी और दिल्ली आंदोलन में जाना था लेकिन हमें धौलपुर आकर पता चला कि उत्तरप्रदेश किसान को रोकने की तैयारी कर रही है और कृषि मंत्री धर्मेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में भी रैली को नहीं निकाला गया। इसलिए हमें अलवर होकर इस आंदोलन में शामिल होने को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा जत्था अलवर के शाहजहांपुर जाकर किसानों के आंदोलन में शरीक होगा।
जैन जोरा
वार्ता
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