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अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार तीन महीनों में अभियोजन स्वीकृति देने की मांग उठी

जयपुर 12 फरवरी (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में आज नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति तीन महीनों में देने की सरकार से मांग की ताकि दागी लोगों को समय पर सजा हो सके।
श्री कटारिया ने शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के तहत यह मांग करते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि एसीबी ने शानदार काम करते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त बड़े बड़े अधिकारियों प्रकरण दर्ज कर शिकंजा कसा, यह अच्छी बात हैं और इससे अच्छा संदेश जाता है लेकिन सरकार से समय पर अभियोजन की स्वीकृति मिलती तो दागी लोगों को समय पर सजा दिलाने में सफल होते और प्रदेश का भविष्य अच्छा होता।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अभियोजन की स्वीकृति मिलने में देरी होने से आरोपी को लम्बा समय मिल जाने से वह बचने का रास्ता निकाल लेता हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 से अब तक प्रदेश में विभिन्न विभागों के 279 अधिकारियों के मामलों की सरकार के पास अभियोजन स्वीकृति लंबित है। उन्होंने कहा कि दागी लोगों के मामलों में लंबे समय बाद विभाग असहमति भेज देते हैं जबकि ये मामले शीघ्र ही निपटाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कई अधिकारियों के मामलों में असहमति जताई गई हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों के तहत ऐसे मामलों को स्वीकृति देकर शीघ्र निपटाया जाना चाहिए। श्री कटारिया ने कहा कि समय पर अभियोजन की स्वीकृति नहीं देना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के भ्रष्टाचार में लिप्त एक कलेक्टर का उसका यह नौंवा मामला था, गंभीरता से सोचना चाहिए, अगर समय पर दंडित कर दिया जाता तो समस्या का समाधान हो जाता। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी बंधी ले रहा हैं, ऐसे लोगों पर समय पर कार्रवाई की जानी चाहिए और तीन महीने के अंदर सरकार से स्वीकृति मिल जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईएएस नीरज के पवन के मामले में वर्ष 2017 से स्वीकृति नहीं मिली हैं। उन्होंने ऐसे ही कई मामले गिनाये।
जोरा
वार्ता
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