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कायमखानी कौम की वीरता को बताएगा वॉर मेमोरियल

झुंझुनूं, 19 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में झुंझुनूं जिले के धनूरी गांव में देश का पहला कायमखानी वॉर मेमोरियल बनाया जायेगा जो कायमखानी कौम की वीरता का बखान करेगा।
देश पर मर मिटने वालों में कायमखानी कौम ने हमेशा मिसाल पेश की हैं और इसे महारानी एलिजाबेथ के समय 1901 में गजट नोटिफिकेशन के जरिए मार्शल कौम की उपाधि मिली थी। इस कौम को बहादुरी और वफादारी के नाम से आज भी उसी सम्मान के साथ जाना एवं पहचाना जाता है। अब इस बहादुरी और वफादारी को एक मेमोरियल के रूप में स्थापित करने के लिए धनूरी गांव में देश का पहला कायमखानी वॉर मेमोरियल बनने जा रहा है। गांव के हर कायमखानी परिवार का व्यक्ति देश सेवा कर चुका है या फिर कर रहा है।
कायमखानी महासभा के प्रदेश संयोजक कर्नल शौकत अली ने बताया कि कायमखानी कौम ने देश के लिए शहादत दी है। कभी भी मातृ भूमि का सिर झुकने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि अब तक देश की सुरक्षा के लिए 208 कायमखानियों ने अपनी जान दी हैं। इनमें से अकेले 15 कायमखानी शहीद झुंझुनूं जिले के धनूरी गांव के रहने वाले थे। इसलिए इस वीर भूमि को देश के पहले कायमखानी कौम के वॉर मेमोरियल शहीद स्मारक के लिए चुना गया है ताकि आने वाली पीढ़ियां यहां देश सेवा, देश सुरक्षा और देश के लिए जान न्यौछावर करने की गर्व भरी परंपरा को लगातार जारी रख सके।
कर्नल अली ने बताया कि कायमखानी का इतिहास करीब 600 साल से ज्यादा पुराना है। फिरोज तुगलक के जमाने में ददरेवा एक छोटी रियासत हुआ करती थी। जहां पर चौहान वंश के राजा थे मोटेराव चौहान। उनके बेटे कर्मसिंह यशस्वी और बहादुर थे। दिल्ली के राजा उन्हें इस्लामिक धर्म ग्रहण करवाया और हथियारों के साथ के अन्य शिक्षा दी। इसके बाद उन्हें हिसार की जागिर बख्शी गई। कायमसिंह ने राजपूत काल, सल्तनतकाल, मुगलकाल और ब्रिटिशकाल के साथ आज भी अपनी बहादुरी और वफादारी के लिए पहचान रखते है।
वॉर मेमोरियल पर काम कर रहे भंवरू खां ने बताया कि 1971 की लड़ाई में कायमखानी कौम के सैनिकों ने जो वीरता का परिचय दिया। उसका आज भी इतिहास गवाह है। इसलिए इस वॉर के 50 साल पूरे होने पर कायमखानी कौम की वीरता को चिर स्थायी बनाने के लिए धनूरी गांव में यह मेमोरियल बनाया जा रहा है। जिसमें ना केवल 208 शहीदों के शिलालेख होंगे। बल्कि राष्ट्रीय ध्वज और अशोक स्तंभ भी होगा। यहां पर आने वाला हर व्यक्ति खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा कि वह उस देश का नागरिक है। जहां पर कायमखानी कौम जैसे बहादुर और वफादार है।
श्री खां ने बताया कि आज भी कायमखानी कौम को आजादी से पहले और आजादी के बाद ऐसे कई मैडल और प्रमाण पत्र मिले है। जिन्हें देखकर फक्र महसूस होता है। लेकिन अब तक वे पेटियों में बंद है। जब ये मैडल और प्रमाण पत्र पेटियों से बाहर निकलकर म्यूजियम में आएंगे तो हर युवा इन्हें देखकर देश सेवा एवं सुरक्षा का संकल्प लेगा। जो हिंदुस्तान के लिए एक सकारात्मक उर्जा का काम करेगा। उन्होंने बताया कि इस मेमोरियल का काम चार चरणों में पूरा किया जाएगा। जिसका पहला चरण 14 जून को पूरा किया जाएगा। क्योंकि हमारे दादाजी नवाब कायमखान को उस दिन याद किया जाएगा।
आईपीएस अरशद खान ने कहा कि कायमखानी कौम का निक नेम है वफादारी और बहादुरी। इस मेमोरियल से इसका जीता जागता प्रमाण हर कौम और हर धर्म के लोग देखेंगे। आज के जमाने में जो जहर फैलाया जा रहा है धर्म के नाम पर। उस जहर का यह मेमोरियल ना केवल खात्मा करेगा। बल्कि युवाओं को सही दिशा में ले जाने के लिए काम करेगा।
शहीद स्मारक निर्माण के लिए 2 करोड़ 8 लाख रुपए खर्च होंगे। कौम के सभी शहीदों के सेना मेडल भी यादगार के लिए रखे जाएंगे। स्मारक पर होने वाली राशि का खर्च भामाशाहों से आर्थिक सहयोग लेकर खर्च किए जाएंगे। इस स्मारक के लिए जिले के कई पूर्व सैनिकों, शहीदों के परिजन एवं उनके पुत्रों द्वारा धनराशि सहयोग के लिए दी गई है। धनूरी गांव में बनने वाले शहीद स्मारक के लिए जमीन मास्टर अरशद अली खान ने दान की है। स्मारक से पहले झुंझुनूं जिले के मुख्यालय पर कायमखानी समाज के प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए एक छात्रावास भवन निर्माण का कार्य कराया जायेगा।
सर्राफ जोरा
वार्ता
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