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कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए युवाओं को कृषि से जोड़े जाने के हों प्रयास-मिश्र

जयपुर, 22 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने युवाओं को कृषि से अधिकाधिक जोड़े जाने के लिए कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने, कृषि शिक्षा के तहत सूचना-संचार तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देने, स्थानीय जलवायु के अनुरूप कम पानी में अधिक उत्पादन वाली फसलों की पहचान कर कृषि के लिए उनकी अनुशंषा करने का कार्य भी विश्वविद्यालय स्तर पर किए जाने पर जोर दिया हैं।
श्री मिश्र महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की संघटक इकाई के रूप में स्थापित कृषि महाविद्यालय डूंगरपुर के शुभारम्भ अवसर पर आज राजभवन से ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा के लिए कहीं कोई एक कॉलेज भी खुलता है तो वह युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़ उन्हें अर्थव्यवस्था में योगदान देने का अवसर प्रदान करने जैसा है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे कृषि शिक्षा के दौरान ही युवाओं को एक उद्यमी के रूप में सफल होने के लिए तैयार करें। इसके लिए उद्यमिता, कौशल प्रशिक्षण की सुविधाओं से युवाओं को लाभान्वित करने के प्रयास बढ़ाने जाने पर उन्होंने जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को कृषि के क्षेत्र में अपना नया ‘स्टार्ट-अप’ व्यवसाय शुरू करने के लिए कृषि शिक्षा के दौरान ही प्रेरित किया जाए।
कृषि के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण, भण्डारण, विपणन आदि के साथ फार्म टूरिज्म जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कृषि शिक्षा की इस समय की सबसे बड़ी जरूरत यह भी है कि युवा खेती में नवीन और आधुनिक रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें। उन्होंने खेती को समयानुरूप आधुनिक करने के साथ ही कृषि सुधारों के लिए पारम्परिक कृषि की भारतीय पद्धतियों को अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने वैदिक खेती की चक्रीय परती प्रणाली की चर्चा करते हुए कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने, कम पानी में अधिक फसल और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में ऐसे पारम्परिक तरीके बेहद कारगर हो सकते हैं।
श्री मिश्र ने कहा कि कृषि शिक्षा और अनुसंधान से जुड़े लोग कृषि वैज्ञानिक कहे जाते हैं परन्तु खेतों के असली कृषि वैज्ञानिक किसान हैं। उन्होंने ऐसे कृषि वैज्ञानिकों के परम्परागत ज्ञान को सहेजते हुए कृषि शिक्षा में गुणवत्ता के साथ ही शोध व कृषि प्रसार गतिविधियों में गुणात्मक सुधार करने के लिए भी निरंतर कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कृषि को वैश्विक चुनौतियों के अनुरूप अधिक लाभदायक बनाए जाने और प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा ऐसे युवा किसानों की सफलता की कहानियां प्रकाश में लाने की आवश्यकता जताई जिन्होंने खेती के जरिए अपना और देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने वर्चुअल रीयलिटी आधारित कृषक उपयोगी सूचनाओं के संकलन के लिए कृषि में सूचना और संचार तकनीक को बढ़ावा दिए जाने की भी आवश्यकता जताई।
उन्होंने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा पेटेन्ट कार्य, रोबोटिक्स संबंधित नव-प्रर्वतन, ’मेवाड़ ऋतु’ एप से मौसम भविष्यवाणी आदि कदमों की सराहना करते हुए कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय को देश का उत्कृष्ट केन्द्र बनाने का आह्वान किया।
जोरा
वार्ता
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