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बहुचर्चित बाईकर अस्बाक हत्याकांड में पत्नी के अलावा दोस्त भी आरोपी

जैसलमेर 03 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान के जैसलमेर में अगस्त माह में इंटरनेशनल बाजा रैली में हिस्सा लेने के दौरान बहुचर्चित हाई प्रोफाईल इंटरनेशनल बाईकर अस्बाक मोनह हत्याकांड में उसकी पत्नि सुमेरा परवेज के शामिल होने के साथ उसके अन्य चार दोस्तों के भी शामिल होने की बात सामने आई है।
16 अगस्त को इस इंटरनेशनल राईडर की रेगिस्तान इलाके में ले जाकर की गई हत्या के बाद उसके दोस्त संजय, विश्वास, साबिक आदि ने रिसोर्ट में जाकर पार्टी की थी साथ ही उन्होंने जान-बूझकर एक ऐसे सुनसान रेगिस्तानी इलाके को मोटरसाईकिल रेस के लिये चुना था जहां पर न तो किसी नेटवर्क की लोकेशन थी और न ही किसी की आवाजाही सुनसान बियबियान रेगिस्तान को अपने इस दोस्त की हत्या के लिये एक दिन पहले जाकर रैकी की गई थी। पुलिस इस मामले में गहन जांच पड़ताल कर रही है।
जिला पुलिस अधीक्षक अजयसिंह ने इस मामले में बताया कि राईडर अस्बाह मोन की हत्या के पीछे उसके साथ आए दोस्तों का हाथ होने की पूरी संभावना है। हालांकि जब तक पत्नि सुमेरा परवेज एवं उसके दोस्त संजय, विश्वास, साबिक आदि की आमने सामने बात न हो तब तक पूरे षड्यंत्र का पर्दाफाश नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्ट्या में जो प्रमाण मिले हैं तथा अनुसंधान अधिकारी द्वारा जो जांच की गई है कि इसमें यह आया हैं कि अस्बाक की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई थी। इसके लिये आयोजित बाइक रेस का स्थान ऐसे रेगिस्तानी इलाके का चयन किया गया था जहां पर न तो मोबाईल लोकेशन थी और वहां पर किसी प्रकार की कोई मानवीय आबादी की आवाजाही नही थी।
इसके अलावा उसके दोस्त संजय एवं विश्वास से भी पूछताछ के दौरान कई ऐसी कई बातों का खुलासा हुआा जिसमें साफ जाहिर हो रहा हैं कि इस हत्या में उनका पूरा हाथ हो सकता है।
उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को अस्बाक के साथ रास्ता की रैकी करने के लिये संजय एवं विश्वास गए थे। उन्होंने ही पूरे रास्ते की रैकी की गई और अगले दिन 16 अगस्त को जब रेस आयोजित हुई थी तब संजय आगे चल रहा था और बीच में अस्बाक था और पीछे विश्वास चल रहा था। बाद में अस्बाक के रास्ता भटकने की बात आती हैं जिसकी जानकारी संजय को थी उसने सिर्फ पुलिस थाना में गुमशुदगी दर्ज कराने अलावा न तो आयोजकों को इसकी सूचना दी, न उसकी पत्नि व अन्य किसी को बताया। तथा रात्रि में संजय, विश्वास व अन्य लोग होटल से बाहर कहीं रिसोर्ट आदि में चले गए।
उन्होंने बताया कि 17 अगस्त को अस्बाक की खोजबीन होती हैं तब सबसे पहले संजय ही उस स्थान पर पहुंचता हैं जहां पर अस्बाक की लाश पड़ी होती हैं और वह वहां से उसका फोन उठाकर अपने पास रख लेता है। वापस लौटते समय उसने वह फोन न तो पुलिस को दिया और न ही उसके बारे में किसी को बताया। अस्बाक के फोन से दो मैसेज होते हैं जिसके बारे में संभावना व्यक्त की जा रही हैं कि यह मैसेज संजय ने उसके फोन से किये थे। यह भी जानकारी मिली हैं कि संजय ने अस्बाक के फोन से कुछ मैसेज फोटो आदि डिलीट भी कर दिए है।
पुलिस ने बताया कि उसकी पत्नि सुमेरा की कॉल डिटेल खंगालने पर संजय, विश्वास आदि से कई बार बातें होने की बात सामने आई हैं जबकि संजय एवं विश्वास इससे इंकार करते रहे।
भाटिया रामसिंह
वार्ता
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