राज्य » राजस्थानPosted at: Oct 18 2021 1:07PM न्यूनतम समर्थन मूल्य देने में दोनों सरकारें संवेदनहीन-जाटजयपुर 18 अक्टूबर (वार्ता) किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने में केन्द्र एवं राज्य सरकार को संवेदनहीन बताते हुए कहा है कि बाजरे की उपज की खरीद की व्यवस्था नहीं करने पर किसानों को बाजारा कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। श्री जाट ने आज अपने बयान में यह बात कही। उन्होंने मांग की कि किसानों को सम्बल देने के लिए शीघ्र बाजरे की उपज की खरीद का निर्णय कर एमएसपी पर बाजरे की खरीद शुरु करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौसम की मार के कारण खरीफ की फसलें खराब हुई वहीं रबी की फसलों की बुवाई में निरंतर बाधा आ रही है। डीएपी खाद और बिजली का संकट फसल बुवाई में किसानों के लिए बाधक बने हुए। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था नहीं होने से राजस्थान की प्रमुख बाजरा की उपज किसानों को लागत से कम दामों में बेचने को विवश होना पड़ रहा है। सरकार द्वारा बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है लेकिन इसकी खरीद का ही निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार द्वारा खरीद की व्यवस्था नहीं करने से बाजार में बाजरा 1400 रुपयों से कम दामों पर बेचना पड़ रहा है इससे किसानों को एक क्विंटल पर ही 800 से लेकर 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक का घाटा हो रहा है। श्री जाट ने कहा कि पड़ोसी हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं गुजरात में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा बेचने का विकल्प उपलब्ध है किंतु राजस्थान में यह विकल्प भी उपलब्ध नहीं है जबकि देश भर में बाजरे की सर्वाधिक उपज राजस्थान में ही है। उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों पर ही किसानों के प्रति संवेदनहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ही सरकारें किसानों के प्रति सजग नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों को मिलकर बाजरा, मक्का, ज्वार जैसे मोटे अनाजों की एमएसपी पर खरीद के संबंध में सार्थक पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार मूंग की स्थिति है जिसका आधा उत्पादन तो अकेले राजस्थान में होता है। केंद्र की नीति के अनुसार कुल उत्पादन में से 75 प्रतिशत उत्पादन को तो खरीद की परिधि से बाहर किया हुआ है। जिससे किसान अपना 25 प्रतिशत उत्पादन ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच पाते है। शेष उत्पादन को तो 2000 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठाकर बेचना पड़ रहा है। यही स्थिति मूंगफली की है जिसकी भी कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत मूंगफली न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच पाएंगे शेष 75 प्रतिशत उत्पाद को घाटा उठा कर ही बेचना पड़ेगा।जोरावार्ता