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कोटा महोत्सव छोड़ गया अनूठी छाप,रहेगा अनुकरणीय

कोटा,06 फरवरी (वार्ता)। राजस्थान के कोटा में आयोजित तीन दिवसीय कोटा महोत्सव निश्चित रूप से अपनी अनूठी छाप छोड़ गया है।
इस महोत्सव के आयोजन में एक ही मंच के जरिए न केवल आम लोगों को हाडोती की बल्कि देश के अन्य हिस्सों की लोक कला संस्कृति से आमना-सामना करवाया क्योंकि इसमें शेखावाटी के चंग की थाप थी तो हाडोती के सहरियों के लोक नृत्य के थिरकन भी। साथ मिला एडवेंचर, वॉटर स्पोर्ट्स, नेचर वॉक, फ्लावर शो जैसी गतिविधियां का जिनके जरिए हजारों लोगों का
वन-वन्यजीव-प्रकृति से मिलान करवाया गया तो परकोटे के भीतरी हिस्से में हुये हेरिटेज वॉक के जरिए पुरातात्विक वैभव से लोग जुड़े। खेलकूद गतिविधियों के जरिए शारीरिक वर्जिश की जरूरत का भी इस महोत्सव के जरिए अहसास करवाया गया।
जिला कलक्टर ओ पी बुनकर की सोच और पहल पर पहली बार आयोजित कोटा महोत्सव के जरिए हजारों लोगों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न अंदाज के साथ आयोजित सांस्कृतिक वैभव और कलात्मक गतिविधियों से भरपूर तीन दिवसीय आयोजन के जरिये कई हजार लोगों एक-दूसरे से जुड़े। इस कार्यक्रम की एक खास बात यह रही कि राजनीति एवं राजनीतिज्ञों के दखल को आमतौर पर इस समूचे से दूर रखा जिसके कारण लगभग सभी आयोजित कार्यक्रम समयबद्ध तरीके से बिना किसी वैचारिक-भावनात्मक बटवारे के पूरे उत्साह के साथ सफलतापूर्वक आयोजित हो सके।
महोत्सव के दौरान वाटर स्पोर्ट्स और बैलून शो के जरिए खेल गतिविधियों से जुड़े तो कोटा शहर के भीतरी हिस्से में आयोजित हेरिटेज वॉक के माध्यम से हाडोती अंचल के सांस्कृतिक वैभव, पुरातात्विक महत्व को अनूठे अन्दाज में देखने का मौका मिला। सबसे लंबी मूछ, साफा बांधने जैसी प्रतियोगिताओं ने राजस्थान की आन-बान-शान से अवगत कराया तो रस्साकशी जैसी स्पर्धाओं ने शारीरिक कसरत के महत्व को प्रतिपादित किया।
फ़ैशन-शो के जरिए लोग राजस्थानी से लेकर आधुनिक वेशभूषा तक को लोग एक ही मंच से देखने में सफल रहे, जिसमें राजस्थानी संस्कृति की पृष्ठभूमि पर संगीत की धुनों के बीच पारंपरिक परिधानों की भी सफलतापूर्वक आधुनिक तौर-तरीके से प्रस्तुति दी गई थी।
हाडा रामसिंह
वार्ता

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