राज्य » राजस्थानPosted at: Sep 19 2023 6:38PM कृषि एवं आदिवासी स्वराज समागम-2023 बुधवार से बांसवाड़ा में होगा शुरुबांसवाड़ा 19 सितंबर (वार्ता) कृषि प्रणाली से अपना भविष्य सुरक्षित कर जय किसान के नारे को साकार एवं बुलंद करने के उद्देश्य से राजस्थान के बांसवाड़ा में 20 सितंबर से तीन दिवसीय कृषि एवं आदिवासी स्वराज समागम-2023 का आयोजन किया जायेगा। बांसवाड़ा के प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के सामने आदिवासी संप्रभुता आधारित खाद्य एवं बीज स्वराज, जल एवं वन स्वराज, मृदा एवं पशुधन स्वराज, बाल स्वास्थ्य एवं पोषण स्वराज, शिक्षा एवं बाल विकास स्वराज, संस्कृति एवं वैचारिक स्वराज विषयों तथा जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में इनकी महत्ता को रेखांकित करने के लिए आयोजित इस तीन दिवसीय समागम में आदिवासी समुदाय, समस्त जनजातीय कृषक, स्वराज मित्र, बाल मित्र तथा विभिन्न जनजातीय संगठनों के लोग विषय विशेषज्ञों के साथ गहनता से विचार करने के लिए एक मंच पर साथ आयेंगे। 20 से 22 सितम्बर तक चलने वाले समागम का उद्घाटन बुधवार सुबह इंडियन फार्म फोरेस्ट्री डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव लि . के उपमहाप्रबंधक डॉ आर पी एस यादव करेंगे। उपभोक्तावाद और आधुनिकता के कारण जैव-विविधता घटती जा रही है और जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में जीवन मूल्य और जीवन पद्धति में व्यापक बदलाव आया है। इससे लुप्तप्राय: होती जा रही समुदाय की सार्वभौमिकता को बनाये रखते हुए आदिवासियों की जीवनशैली में रची बसी वन श्रम, सामूहिकता, संवेदनशीलता, सादगी, समानता, सहजता, सरलता और सच्चाई पर आधारित परंपरागत कृषि, प्रकृति के विभिन्न घटकों एवं समुदायों के विभिन्न मुद्दों तथा उनके परंपरागत स्थानीय समाधानों पर समागम में विचार विमर्श किया जायेगा। वाग्धारा संस्था के तत्वावधान में “जनमंच” के समक्ष होने वाली चर्चा में भाग लेने के लिए इस समागम में देश के विभिन्न राज्यों से विषय विशेषज्ञ इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे तथा अपने अनुभवों को साझा कर और ज्ञान के प्रकाश से समुदाय को लाभान्वित करेंगे। जलवायु परिवर्तन एवं बदलते परिवेश में किस प्रकार आदिवासी समुदाय अपनी परंपरागत जीवन पद्धति को अपनाते हुए उनके स्थानीय तरीकों एवं परंपरागत खेती की ओर लौटें जिससे पोषण युक्त फसलों के उपयोग से स्वास्थय में सुधार होI साथ ही इससे जुड़े स्थानीय रोज़गार को बढ़ावा मिले और सतत एवं टिकाऊ खेती हेतु जैविक विधियों को प्रोत्साहन मिले। संस्था के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर पहल से आदिवासी समुदाय के बीच स्वराज की अवधारणा का ऐसा आधार निर्मित किया जाये जिससे इसके विभिन्न घटकों को अपनाते हुए गाँधी के स्वराज के मूल्यों से आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भर किया जा सके । समागम में समुदाय के लगभग छह हजार कृषक एवं जनजातीय संगठनों के सदस्य सम्मलित होंगे। कार्यक्रम में आदिवासी जीवनशैली पर आधारित प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा उसे अपनाने के लिए सभी को प्रेरित किया जायेगा। प्रतिवर्ष दक्षिणी राजस्थान एवं उसकी सीमाओं से जुड़ते हुए मध्यप्रदेश एवं गुजरात के आदिवासी जिलों के समुदाय द्वारा कृषि एवं जनजातीय स्वराज समागम का आयोजन बांसवाडा में किया जाता रहा हैं। इस समागम में देश भर से विशेषज्ञ, विचारक विभिन्न विषय मुख्यत: जल, जंगल, ज़मीन,जानवर , बीज, खाद्य व पोषण स्वराज, बाल अधिकार, जल वायु परिवर्तन पर गहन चर्चा करके करते आदिवासी समुदाय के प्रमुख सम्बंधित मुद्दे एवं उनसे जुड़ी हुई मांगों को नीति निर्माताओं तक पहुंचाते हैं। जोरावार्ता