राज्य » राजस्थानPosted at: Sep 30 2023 8:49PM शब्द पर संकट मतलब, ब्रह्म पर संकट: डा व्यासश्रीगंगानगर, 30 सितंबर (वार्ता)। वरिष्ठ साहित्यकार, कला मर्मज्ञ और संस्कृति कर्मी डॉ. राजेशकुमार व्यास ने कहा है कि जब कुछ भी नहीं था, तब शब्द था। इसलिए शब्द ब्रह्म है और जो हम जी रहे हैं वह संस्कृति है। डा व्यास आज श्रीगंगानगर में टांटिया यूनिवर्सिटी के आईक्यूएसी की ओर से शिक्षा संकाय में आयोजित विशेष व्याख्यान में संबोधित कर रहे थे। शब्द ब्रह्म संस्कृति और कलाएं’ विषयक व्याख्यान में उन्होंने कहा कि आज शब्द संस्कृति पर संकट है। शब्द पर संकट का मतलब है, ब्रह्म पर संकट। ऐसे में हमें अपनी भाषा, संस्कृति और कलाओं के प्रति सजग होने की आवश्यकता है। डॉ. व्यास ने कहा कि मनुष्य की संस्कृति सदैव घुल-मिलकर रहने की रही है। वही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है। उन्होंने कहा कि बोलियां भाषा की समृद्धि की कारक होती हैं। जिस भाषा की जितनी बोलियां होती हैं, वह उतनी ही अधिक समृद्ध होती है। शब्दों का सही ढंग से प्रयोग करने पर उसका प्रसार होगा अन्यथा वे लुप्त हो जाएंगे। डॉ. व्यास ने छंद को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि छंद ही कलाओं का सहज गुण है। दृश्य को छंदों में गूंथना ही कला है। उन्होंने जयदेव की कृति ‘गीत गोविंद’ की चर्चा करते हुए इसके पीछे की कहानी बताई और कहा कि पुस्तकों में मोरपंख रखने की संस्कृति यहीं से विकसित हुई है। डॉ. व्यास के अनुसार भारतीय कलाएं आंतरिक सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। जो कलाओं के पास गया है, वह अमरत्व को प्राप्त हुआ है क्योंकि कलाएं सदैव रहती हैं। सेठी रामसिंहवार्ता