राज्य » राजस्थानPosted at: Aug 5 2024 9:38PM प्रतिपक्ष को ऐसे सदस्य का बचाव करना, अलोकतांत्रिक और विकास विरोधी सोच का घोतक-देवनानीजयपुर, 05 अगस्त (वार्ता ) राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि विधानसभा जैसे पवित्र एवं गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक है और सदन में नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाला व्यवहार बेहद दुःखद है। श्री देवनानी ने अपने बयान में कहा कि प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निन्दनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है। श्री देवनानी ने कहा कि आसन द्वारा सदस्य का निलंबन किये जाने का कदम सदन की गरीमा की रक्षार्थ उठाया गया। प्रतिपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है। प्रतिपक्ष के सदस्य का सोमवार को सदन में व्यवहार और प्रतिपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है। श्री देवनानी ने कहा उन्होंने उदार रुख दिखाते हुए आसन से पांच बार प्रतिपक्ष नेता को नियमों के तहत विषय उठाने और व्यवस्था दिये जाने के लिए कहा गया। इसके बावजूद भी विधानसभा में प्रतिपक्ष का हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए वेल में आना, सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है। उल्लेखनीय है कि सदन में प्रतिपक्ष नेता द्वारा उठाया गया विषय न्यायालय में विचाराधीन है। राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन विषयों पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती है। न्यायालय में विचाराधीन विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं परम्पराओं के भी विपरित होता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में सोमवार को विधायकों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार के दौरान विधि विभाग द्वारा 12 जिलों में कुछ लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में 27 जुलाई को हुए आदेश में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के उल्लेख का विषय प्रतिपक्ष नेता द्वारा व्यवस्था के प्रश्न के नाम से उठाया गया जो कि नियमों के विपरित था। राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 294 के तहत यह व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं था। सदन में किसी विषय को उठाने से पहले राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 295 के तहत लिखित में विधानसभा के प्रमुख सचिव को सूचना दिये जाने के तत्पश्चात ही कोई विषय सदन में उठाया जा सकता है। सदन में चल रहे गतिरोध के दौरान ही विधायक मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया जो विधान सभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है और प्रतिपक्ष नेता का भी बैल में आने की परम्परा नहीं रही है। इसकी प्रतिपक्ष नेता एवं प्रतिपक्ष विधायको को घोर निन्दा करनी चाहिए ताकि विधानसभा सदन की गरिमा और पवित्रता कायम रखी जा सके। विधान सभा के सभी सदस्यों का सदन की पवित्रता एवं गरिमा को बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है।जोरा वार्ता