राज्य » राजस्थानPosted at: Nov 30 2024 9:42PM ----श्री पटेल ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में अनुमोदित राजस्थान पर्यटन इकाई नीति-2024 राज्य में पर्यटन के नए संभावनाशील क्षेत्रों में निवेशकों व उद्यमियों को आकर्षित करेगी। नई नीति में इको टूरिज्म यूनिट, फिल्म सिटी, हेरिटेज रेस्टोरेंट, होटल हाउसिंग, इनडोर/आउटडोर प्ले जोन, एकीकृत पर्यटन विलेज, मोटल/वे-साइड सुविधाएं, रिसोर्ट हाउसिंग, ग्रामीण पर्यटन इकाई और पर्यटन स्टार्ट-अप्स जैसी नई पर्यटन इकाइयों को जोड़ा गया है। इस नीति में न्यूनतम 100 करोड़ रूपये का नया निवेश करने वाली पर्यटन इकाई परियोजनाओं को राजकीय भूमि आंवटित किये जाने का प्रावधान किया गया है। पर्यटन इकाई से जुड़ी या उसके अंदर आने वाली भूमि को उनकी भूमि के 10 प्रतिशत तक राजकीय भूमि कृषि या आवासीय डीएलसी दरों पर एक बार आवंटित की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि नई पर्यटन इकाइयों को रिप्स-2024 के तहत स्टाम्प ड्यूटी, कन्वर्जन चार्ज और डेवलपमेंट चार्ज में छूट मिलेगी। ट्यूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र को औद्योगिक दर्जा मिलने से यूडी टैक्स, बिजली दरें, और भवन प्लान शुल्क औद्योगिक दरों पर लागू होंगे। ट्रेड, होटल व रेस्टोरेंट लाइसेंस 10 वर्ष और फायर एनओसी 3 वर्ष के लिए जारी होगी। हेरिटेज होटल/रेस्टोरेंट को रियायती दर पर बार लाइसेंस और 300 वर्ग मीटर से अधिक की हेरिटेज संपत्तियों को फ्री होल्ड पट्टे मिलेंगे। वॉल्ड सिटी में आने वाले होटलों को सड़क चौड़ाई की अनिवार्यता से छूट, दुगुना बिल्टअप एरिया रेश्यो (बीएआर), और संकरी सड़कों पर स्थित हेरिटेज होटल या हेरिटेज रेस्टोरेंट को डेडिकेटेड पार्किंग की व्यवस्था होने पर संचालन की अनुमति मिलेगी। 22 सीट वाले वातानुकूलित लक्जरी कोच पर मोटर वाहन कर में पूर्ण छूट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अक्षय ऊर्जा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप वर्तमान अक्षय ऊर्जा नीति, बायोमास एवं वेस्ट टू एनर्जी नीति, ग्रीन हाइड्रोजन नीति के प्रावधानों तथा ऊर्जा भण्डारण के नवीन प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति-2024 का अनुमोदन किया गया है। नई नीति में 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 125 गीगावाट तक बढ़ाने, फ्लोटिंग, रिजर्वायर टॉप और कैनाल टॉप सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने, पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट सहित बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं और 8 मार्च 2019 के बाद शुरू हुई छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को शामिल करने, और नेट मीटरिंग व्यवस्था में 80 प्रतिशत ट्रांसफार्मर क्षमता तक सोलर रूफटॉप लगाने की अनुमति दी गई है। सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और पार्कों को राजकीय भूमि आवंटन, वर्चुअल पीपीए आधारित सौर ऊर्जा परियोजनाओं, कार्बन ट्रेडिंग, ऊर्जा दक्षता तथा नेट जीरो बिल्डिंग को बढ़ावा देने के प्रावधान भी नई नीति में हैं। उन्होंने बताया कि इस नीति में 10 मेगावाट तक की परियोजनाओं का पंजीकरण शुल्क घटाकर 5 हजार रुपए कर दिया गया है। नई नीति में 2029-30 तक 10 हजार मेगावाट क्षमता के पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट, बैट्री ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं (बीईएसएस), हाइड्रो सहित ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। बीईएसएस को बढ़ावा देने के लिए 5 मेगावाट से अधिक की परियोजना की स्थापना पर न्यूनतम 5 प्रतिशत क्षमता का ऊर्जा भंडारण संयंत्र अनिवार्य किया गया है। नीति में बायोगैस, बायो सीएनजी को प्रोत्साहन और वर्ष 2030 तक 2000 केटीपीए ग्रीन हाईड्रोजन उत्पादन हेतु ग्रीन हाइड्रोजन वेली की स्थापना, और न्यूनतम 1 गीगावाट के इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। बीईएसएस और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को रिप्स-2024 सहित विभिन्न प्रकार के लाभ एवं छूट देय होंगे। श्री पटेल ने बताया कि बजट घोषणा को पूरा करते हुए कैबिनेट द्वारा स्वीकृत राजस्थान खनिज नीति-2024 प्रदेश में खनन आधारित उद्योगों, औद्योगिक निवेश, युवाओं व स्थानीय लोगों को रोजगार व राजस्व में बढ़ोतरी के साथ ही अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने में कारगर साबित होगी। उन्होंने बताया कि नई खनिज नीति में राजस्व में बढ़ोतरी और रोजगार के नए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, खनिज ब्लॉक्स की प्री-एम्बेडेड अनुमतियों के साथ नीलामी, जनजातीय क्षेत्रों में बिड सिक्योरिटी आधी करने, और पोस्ट-ऑक्शन सेल को मजबूत बनाने के प्रावधान किए गए हैं। इस नीति में मिनरल डायरेक्ट्री और सेण्ड पोर्टल विकसित कर बजरी खनन में पारदर्शिता लाने और अप्रधान खनिजों के रियायत नियम सरल बनाने पर जोर दिया है। आधुनिक तकनीक से जीरो वेस्ट माइनिंग, ऑनलाइन रॉयल्टी वसूली, परमिट सरलीकरण, और अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत जियो-फेंसिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और आरएफआईडी चेकपोस्ट लागू किए जाएंगे। खनन आधारित उद्योगों को थर्स्ट सेक्टपर में शामिल किया गया है और इन्हें रिप्स 2024 के लाभ भी दिए जा रहे हैं। श्री पटेल ने बताया कि केबिनेट द्वारा स्वीकृत नई एम-सेण्ड नीति में प्रदेश में एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना और बजरी के सस्ते विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। एम-सेण्ड इकाई की स्थापना के लिए 3 साल के अनुभव, 3 करोड़ रुपए की नेटवर्थ व 3 करोड़ रुपए के टर्नओवर की बाध्यता समाप्त की गई है। ओवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम कर आधा किया गया है, वहीं नीलामी के समय एम-सेण्ड यूनिट के लिए दो प्लाट रखने के स्थान पर 5 प्लाट आरक्षित कर आवंटित किया जाएगा। इसी तरह से कीननेस मनी को भी दो लाख से कम कर एक लाख किया गया है। उन्होंने बताया कि ओवरबर्डन पर देय डीएमएफटी की राशि में छूट, सरकारी और सरकार से वित्त पोषित निर्माण कार्यों में बजरी की मांग की आपूर्ति में 25 प्रतिशत एम-सेण्ड के उपयोग की अनिवार्यता तय की गई है। एम-सेण्ड को बढ़ावा देने के लिए इन इकाइयों को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2024 के परिलाभ भी दिए जाएंगे। डा बैरवा ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरपालिकाओं के लिये 7वें राज्य वित्त आयोग के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इस आयोग की अवार्ड अवधि 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2030 तक होगी। उन्होंने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक के पद पर सीधी भर्ती हेतु वांछित अनुभव सम्बन्धी योग्यता के प्रावधान को विलोपित करने की मंजूरी दी गई है। अब तक वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक पद पर भर्ती में प्रयोगशाला कार्य में अथवा वाटर एवं सीवरेज एनालिसिस कार्य में अनुभव रखने वालों को वरीयता दिए जाने का प्रावधान था। इस प्रावधान को हटाने के निर्णय से वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक पद पर भर्ती शीघ प्रारम्भ हो सकेगी। इसके साथ ही, अब वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक के 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से एवं 75 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। अब तक सीधी भर्ती और पदोन्नति के पदों का अनुपात 50-50 प्रतिशत था। डॉ. बैरवा ने बताया कि नियमों में समरूपता लाने के उद्देश्य से आयुष विभाग में आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी के पदों पर अब आरपीएससी के माध्यम से भर्ती परीक्षा आयोजित कर चयन किया जाएगा। इस सम्बन्ध में सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। अब तक आयुष विभाग में इन पदों पर भर्ती शैक्षणिक योग्यता के प्राप्तांकों व बोनस के आधार पर होती रही है। डा बैरवा ने बताया कि आरएसी और एमबीसी कांस्टेबल पद पर भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता में बदलाव करते हुए इसे सीनियर सैकेण्डरी किया जाएगा। इसे देखते हुए राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के संगत नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इससे समान पात्रता परीक्षा के अंतर्गत राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा के कांस्टेबल पद के साथ ही आरएसी और एमबीसी कांस्टेबल भर्ती भी की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान भू-जल सेवा नियम, 1969 एवं राजस्थान भू-जल अधीनस्थभ सेवा नियम, 1973 में विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्यों में उप सचिव कृषि विभाग के स्थानन पर उप सचिव, भूजल विभाग को सम्मिलित करने के संशोधन को मंजूरी दी गई है। पूर्व में भूजल विभाग का प्रशासनिक विभाग, कृषि विभाग था लेकिन वर्तमान में यह एक अलग विभाग है। इसे देखते हुए यह संशोधन आवश्यक था। डॉ. बैरवा ने बताया कि राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल अपॉइन्टमेंट टू सिविल पोस्ट्स रूल्स-2022 के अंतर्गत नियुक्त कार्मिकों को भी अब राज्य कर्मचारियों की भांति ही दो तारीखों एक जुलाई अथवा एक जनवरी को वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि का लाभ मिल सकेगा। इस सम्बन्ध में की गई बजट घोषणा को पूरा करते हुए राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल अपॉइन्टमेंट टू सिविल पोस्ट्स रूल्स-2022 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन से इन नियमों के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों को प्रथम वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि एक वर्ष से पहले ही प्राप्त हो सकेगी तथा सभी संविदा कार्मिकों की आगामी वार्षिक पारिश्रमिक वृद्धि की दिनांक नियुक्त अवधि के अनुसार एक समान हो जायेगी। डा बैरवा ने बताया कि राजस्थान शिक्षा (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम-2021 के प्रावधानों में संशोधन कर पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक (एनटीटी) के पदों का इसमें ग्रुप ईः प्री प्राइमरी विंग जोड़कर संवर्गीकरण किया जाएगा। इस कैडर का प्रारम्भिक पद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक रखा गया है। ये सभी पद 100 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापकों की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-2 पर, पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-2 की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-1 एवं पूर्व प्राथमिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड-1 की पदोन्नति 5 वर्ष के अनुभव के बाद पूर्व प्राथमिक वरिष्ठ अध्यापक के पद पर हो सकेगी। श्री पटेल ने बताया कि वर्तमान में एससी-एसटी वर्ग के व्यक्तियों को राजस्थान भू-राजस्व (ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का अकृषि प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन) नियम-2007 के नियम 6 (बी) का लाभ नहीं मिल पाता है। काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 42 बी के प्रावधानों के कारण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसान अपनी कृषि भूमि को अक्षय ऊर्जा परियोजना विकासकर्ता को लीज पर नहीं दे सकते हैं। इसे देखते हुए मंत्रिमंडल ने राजस्थान भू-राजस्व (ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का अकृषि प्रयोजनार्थ संपरिवर्तन) नियम, 2007 में संशोधन को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि इस संशोधन के बाद एससी-एसटी वर्ग के काश्तकारों की कृषि भूमि का सोलर फार्म, सोलर प्लान्ट, सोलर पावर प्लान्ट, विंड फार्म, विंड पावर प्लान्ट के लिए कन्वर्जन करवाये जाने पर जोत तक रिकॉर्डेड पहुंच मार्ग होने की अनिवार्यता की बजाय ऐसे काश्तकार की पहुंच मार्ग होने बाबत स्वघोषणा ही पर्याप्त होगी। इसी तरह, देय कन्वर्जन शुल्क में छूट का प्रावधान भी किया जाएगा।श्री पटेल ने बताया कि जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा पर लेटरल सड़क के निर्माण के लिए केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग को 282.15 हैक्टेयर राजकीय भूमि आवंटन करने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई। यह भूमि सम तहसील में स्थित 23 सीमावर्ती राजस्व ग्रामों में आवंटित की जाएगी। इस लेटरल सड़क का निर्माण भारत-पाक बॉर्डर की निगरानी में विशेष सामरिक महत्व को देखते हुए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किशनगढ़ (अजमेर) में कर्मचारी राज्य बीमा निगम का सौ बेड वाला अस्पताल खोलने हेतु निशुल्क भूमि आवंटन की स्वीकृति भी कैबिनेट बैठक में दी गई। ईएसआईसी अस्पताल के लिए राजस्व ग्राम किशनगढ़ बी में 20 हजार 3 सौ वर्गमीटर भूमि आवंटित की जाएगी। श्री पटेल ने बताया कि मेट्रो रेल के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार के साथ 50-50 संयुक्त उद्यम कम्पनी अब केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सुझाव पर राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के मध्य स्थापित की जाएगी। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पूर्व में केन्द्र सरकार और वर्तमान जेएमआरसी के बीच संयुक्त उद्यम कम्पनी बनाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया था। कैबिनेट के अनुमोदन के पश्चात अब केन्द्र सरकार को पुनः विस्तृत प्रस्ताव भिजवाया जाएगा और जेवी कम्पनी को मूर्त रूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश की निर्माणाधीन एवं भविष्य की सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं को इस जेवी के माध्यम से लागू किया जाएगा। राज्य की वर्तमान और भविष्य की सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं का निर्माण, संचालन और रखरखाव का अधिकार नई जेवी कंपनी के पास होगा। जोरा रामसिंहवार्ता