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तीर्थंकरों ने त्याग, अपरिग्रह के सिद्धान्तों का आदर्श स्थापित किया: बागडे

जयपुर, 21 जनवरी (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि तीर्थंकरों ने त्याग और अपरिग्रह के सिद्धान्तों के आदर्श स्थापित कर जीवन के उदात्त मूल्यों का प्रसार किया है।
श्री बागडे ने मंगलवार को कर्नाटक के वरूर में स्थापित भगवान पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने देश में तीर्थंकरों की महान परम्परा का उल्लेख करते हुये कहा कि पार्श्वनाथ तीर्थंकर का महामस्तकाभिषेक हमें सत्य और जीवन से जुड़े नैतिक मूल्यों पर चलने की प्रेरणा देने वाला है।
श्री बागडे ने भारतीय संविधान की मूल प्रति में ध्यानस्थ मुद्रा में बैठे हुये वर्धमान महावीर के चित्रांकन की चर्चा करते हुये कहा कि जैन धर्म 'जिन' शब्द से जुड़ा है। इसका अर्थ है, 'विजेता', जिन्होंने इच्छाओं एवं मन पर विजय प्राप्त कर ली है, वह महावीर है। उन्होंने वेरूर में भगवान पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा का अभिषेक किया और वहां स्थापित नवग्रह तीर्थ में तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का भी दर्शन किया।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक के वरूर में आचार्य गुणधरणनंदी महाराज की दूरदर्शिता और समर्पण से स्थापित पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा और नवग्रह तीर्थंकर का यह धाम अलौकिक है। उन्होंने आचार्य गुणधरणनंदी को दिगंबर जैन परंपरा में अत्यंत सम्मानित आध्यात्मिक गुरु बताते हुये कहा कि वह आध्यात्मिक राह से जीवन के उत्कर्ष के लिए प्रेरणा देने वाले हैं।
रामसिंह.श्रवण
वार्ता
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