विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीPosted at: Oct 4 2016 11:15PM ‘फिटनेस ट्रैकर’ वजन कम करने में ज्यादा कारगर नहीं
न्यूयॉर्क, 21 सितंबर (वार्ता) लोगों के बीच अपने आपको फिट रखने के लिए ‘फिटनेस ट्रैकर’ काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है लेकिन अगर आप यह मानते हैं कि इससे वाकई दुरुस्त हो जाएंगे तो आप गलत हो सकते हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार ज्यादा वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोगों को फिटनेस ट्रैकर की मदद से वजन कम करने में कोई खास सफलता नहीं मिली। बाजार में कई तरह के फिटनेस ट्रैकर मौजूद हैं जो ट्रेडमिल, दौड़ने और तैराकी जैसी गतिविधियों में आपके बिताए गए समय को मॉनीटर करते हैं। साथ ही आपकी नींद के घंटों और कैलाेरी का भी हिसाब रखते हैं। इनकी मदद से लोग अपनी दिनचर्या की गतिविधियों को नियंत्रित रखकर फिट होने की कोशिश करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के एक नए अध्ययन में 470 लोगों को कम कैलोरी वाला भोजन दिया गया और उन्हें ज्यादा कसरत करने के लिए कहा गया। इससे उन सभी का वजन कम होने लगा। छह महीने बाद आधे लोगों को खुद से भोजन और कसरत करने के लिए कहा गया और बाकी लोगों को उनकी गतिविधियों को मॉनीटर करने के लिए फिटनेस ट्रैकर दिया गया। दो साल बाद दोनों समूह समान रूप से सक्रिय थे लेकिन जिन लोगों को फिटनेस ट्रैकर दिया गया उनका वजन कम घटा। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले जॉन जैकिसिक ने कहा, “इन तकनीकों का फोकस शारीरिक गतिविधियों पर होता है जैसे कि कितना चलना है और आपकी हृदय गति क्या है। ओह! आज मैंने बहुत कसरत कर ली अब मैं ज्यादा खा सकता या सकती हूं और वे इस तरह ज्यादा खा लेते होंगे।” उन्होंने कहा कि फिट होने के लिए दिए गए लक्ष्य किसी को प्रेरित कर सकते हैं जबकि उन लक्ष्यों का हासिल न करना किसी को हतोत्साहित भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज बाजारों में मौजूद फिटनेस ट्रैकर बैंड या घड़ी के संबंध में यह अध्ययन प्रासंगिक है। अध्ययन में यह सामने आया कि बिना फिटनेस ट्रैकर वाले लोगों ने 13 पाउंड वजन कम किया जबकि फिटनेस ट्रैकर से लैस लोगों ने 7.7 पाउंड वजन ही कम किया। इसमें 18 से 35 वर्ष की आयु के लोगों को शामिल किया गया था। यह अध्ययन जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में कल प्रकाशित हुई। जॉन ने कहा कि कुल मिलाकर यह दिख रहा है कि ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने से कोई बड़ा फर्क नहीं आ जाएगा। ये युक्तियां सच में अच्छी तकनीक से लैस है लेकिन आप उनका इस्तेमाल किस तरह करते हैं यह ज्यादा मायने रखता है। मनीषा. आजाद वार्ता