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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


दवा के विकास के लिए दोनों संस्थानों की संयुक्त टीम का गठन किया जायेगा और परियोजना की संयुक्त परिचालन समिति भी बनेगी। हालाँकि, अनुसंधान सीएसआईआर और जॉनसन एंड जॉनसन दोनों की प्रयोगशालाओं में समानांतर रूप से चलेगा।
डॉ. स्टोफल ने बताया कि यह दुनिया में अकेली ऐसी परियोजना है जिसमें सभी प्रकार के टीवी का इलाज दवाओं के एक ही कॉम्बीनेशन से हो जायेगा। इसमें कुल चार नयी दवाओं का विकास किया जायेगा जिन्हें जॉनसन एंड जॉनसन की हाल में विकसित दवा बेडाक्विलिन के साथ दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि हर दवा के विकास पर करोड़ों डॉलर का खर्चा आयेगा। उन्होंने बताया कि नयी दवाएँ पाँच से 10 साल में बाजार में पेश करने की उम्मीद है।
डॉ. स्टोफल ने इस बात से सहमति जताई कि भारतीय संस्थान के साथ साझेदारी में दवा का विकास करने से इसमें समय और लागत की बचत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में बड़ी संख्या में इस बीमारी से संक्रमित आबादी तथा यहाँ के कठिन वातावरण के कारण अनुसंधान के यह उपयुक्त देश भी है। हालाँकि, दवा को बाजार में उतारने से पहले उसका अन्य देशों में भी परीक्षण किया जायेगा।
डॉ. हर्षवर्द्धन ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुये आश्वासन दिया कि नयी दवा किफायती होगी।
अजीत/मधूलिका
वार्ता
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