खेलPosted at: Jul 10 2018 1:03PM Share इंग्लैंड टीम की 1990 में अंतिम-चार में हार पर तो बतौर डाक्यूमेंट्री तक बनाई गयी जिसके बाद वह फिर कभी विश्वकप में इस दौर तक पहुंच ही नहीं सका। इंग्लैंड वर्ष 1966 में एकमात्र बार विश्वकप चैंपियन बना था लेकिन 52 वर्षों से उसका खिताबी सूखा समाप्त नहीं हुआ है। इंग्लिश डिफेंडर एश्ले यंग ने भी माना कि इतिहास में क्या हुआ उसका मौजूदा समय पर असर नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा“ हम इस बात पर ध्यान लगा रहे हैं कि अब क्या हो रहा है न कि इतिहास में क्या हुआ। हम भविष्य की तरफ देख रहे हैं।” रूस विश्वकप इस बार कई मायनों में अलग रहा है जिसमें मुख्य बात यह रही कि यहां इटली, चिली जैसी बड़ी टीमें बाहर रहीं तो जो टीमें फाइनल्स तक पहुंची उनमें अधिकतर को खिताब का दावेदार माना ही नहीं गया। लेकिन इन टीमों ने अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया है और अब किसी भी टीम को कम नहीं आंका जा सकता है। क्रोएशिया की ग्रुप चरण में अर्जेंटीना पर 3-0 की जीत ने साफ कर दिया कि मिडफील्डर लुका मोडरिच की अगुवाई वाली टीम मैदान पर अपनी मूवमेंट और पासिंग में विशेषज्ञ है। क्वार्टफाइनल में रूस के खिलाफ भी क्रोएशिया ने अलग ही तरह का क्लास दिखाया और 120 मिनट तक मेजबान टीम के खिलाड़ियों को नियंत्रित रखा। इंग्लैंड की टीम ने भी इस बार गोल करने के मामले में कमाल किया है और ग्रुप चरण में पनामा के खिलाफ उसकी 6-1 की जीत सबसे यादगार रही थी जबकि अंतिम-16 में कोलंबिया पर जीत प्रभावशाली थी। वहीं क्वार्टरफाइनल में स्वीडन पर 2-0 की जीत में इंग्लिश खिलाड़ियों ने बहुत ही संयमित प्रदर्शन किया। क्रोएशिया और इग्लैंड के बीच पिछले मुकाबलों को देखें तो मैच में इंग्लिश टीम का पलड़ा कुछ भारी लगता है। दोनों के बीच सात मैचों में इंग्लैंड ने चार जीते हैं जिसमें वर्ष 2009 में विश्वकप क्वालिफायर मैच भी शामिल हैं जहां उसने क्रोएशिया को 5-1 से हराया था।प्रीतिवार्ता