नयी दिल्ली, 07 दिसम्बर (वार्ता) खेलों को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाने के मिशन के साथ एडुस्पोर्ट्स देश भर में 800 स्कूलों में पांच लाख बच्चों तक पहुंच चुका है।
एडुस्पोर्ट्स के सह-संस्थापक और सीईओ सौमिल मजमूदार का कहना है कि देश में जब भी खेलों की चर्चा होती है तो जिक्र सिर्फ इस बात का होता है कि कितने पदक जीते, लेकिन खेलों के प्रति इस नजरिये को बदलने की जरूरत है। खेल प्रतियोगिता का हिस्सा तो हैं लेकिन बच्चों को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाने के लिए भी उतना ही जरूरी है।
मजमूदार ने कहा, “हमारा मकसद बच्चों का सर्वांगीण विकास है और इसका महत्त्वपूर्ण पहलू खेल है जिस पर अमूमन ध्यान नहीं दिया जाता है। हमारा मकसद इस धारणा को बदलना था और धीरे-धीरे ही सही लोगों में यह बदलाव देखने को मिल रहा है। माता-पिता भी खेलों में बच्चों की दिलचस्पी के बारे में पूछने लगे हैं।”
मजमूदार कहते हैं कि एडुस्पोर्ट्स का मकसद खेलों को शिक्षा का हिस्सा बनाना है और उनका मानना है कि जिस तरह फिजिक्स, केमेस्ट्री या मैथमेटिक्स पाठ्यक्रम का हिस्सा होते हैं, खेल भी पाठ्यक्रम की तरह बच्चों के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा, “हमने एडुस्पोर्ट्स का गठन 2003 में किया था लेकिन शुरुआत में स्कूलों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई जिससे थोड़ी परेशानी भी हुई लेकिन 2008 में हमने फिर से नई शुरुआत करने की ठानी। स्कूलों का रवैया पहले जैसा ही था, लेकिन तीन-चार स्कूलों को हमारी बात समझ में आई। फिर धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी और लोगों को हमारी बात समझ में आई और हालात बदले।”
उन्होंने कहा कि वह चैंपियन बनाने के लिए खेलों का प्रशिक्षण नहीं देते है बल्कि उनकी कोशिश बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखना है। मजमूदार ने बताया कि उनकी टीम नर्सरी के बच्चों को भी प्रशिक्षण देती है और उससे बड़े आयु वर्गों को भी। मजमूदार के मुताबिक प्रशिक्षण का स्तर अलग-अलग होता है।
मजमूदार ने कहा, “इस दौरान हम इस बात का भी पता लगाते हैं कि कौन से खिलाड़ी किन खेलों में रुचि लेते हैं या फिर यह कि उन्हें कौन सा खेल खेलना चाहिए। दरअसल हमारा मकसद बच्चों को खेलों में रुचि पैदा करना है। हम छोटी जगहों का इस्तेमाल भी इसके लिए करते हैं और जरूरी नहीं है कि इसके लिए बड़ा मैदान ही हो।”
उन्होंने कहा, “एडुस्पोर्ट्स का दायरा बढ़ा है और दिल्ली से लेकर चेन्नई और कोलकाता से लेकर बेंगलुरु तक के स्कूलों में हम बच्चों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। फिलहाल एडुस्पोर्ट्स देश के 800 स्कूलों में बच्चों को प्रशिक्षित कर रहा है। इनमें से करीब 350 स्कूल सरकारी हैं, बाकी निजी स्कूल हैं। हम लड़कियों को बड़ी संख्या में खेलों में आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं क्योंकि उनकी संख्या अभी भी कम है।”
मजमूदार ने बताया कि एडुस्पोर्ट्स के पास 1500 प्रशिक्षक हैं जो बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं। इनमें महिला प्रशिक्षकों की तादाद 40 के करीब है। उन्होंने बताया कि एडुस्पोर्ट्स ने 2017 में आईएसएल फ़ुटबाल क्लब चेन्नई एफसी के साथ भागीदारी की थी और फुटबॉल में दिलचस्पी रखने वाले बच्चों को ढूंढने के लिए सॉकर फेस्टिवल आयोजित किये थे।