खेलPosted at: May 26 2023 5:27PM ओलम्पिक पदक जीत कर माँ को देना चाहता है दुनिया जहां की खुशियां
गौतम बुद्ध नगर 26 मई (वार्ता) कहते हैं कि माँ की आँचल में दुनिया जहां की खुशियां होती है। माँ अपने बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। अगर भरोसा नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में चल रहे 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स' में को कोट्टयम यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे हृदय हज़ारिका की कहानी सुन लीजिए।
‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ में शुक्रवार को हृदय हज़ारिका ने 10 मीटर राइफल में गोल्ड मेडल जीत कर माँ की झोली में खुशियों की सौगात डाल दी है। हृदय खुश है, पर अपनी माँ की कुर्बानी का प्रतिफल वह ओलंपिक मेडल जीत कर देना चाहते हैं। 10 मीटर राइफल शूटिंग के फाइनल में वह शुरू के दो राउंड को छोड़ दिया जाय तो उसके बाद से सभी राउंड में वह नम्बर वन पर ही बने रहे और इसका नतीजा यह हुआ कि अपने प्रतिद्वंद्वी अर्जुन बाबुटा को शिकस्त दे कर पहला पायदान हासिल कर लिया। हृदय का टोटल स्कोर 252.2 रहा।
10 मीटर एयर राइफल में जूनियर पदक हासिल कर चुके हृदय हज़ारिका की ख्वाहिशों को पूरा करने और उसे खेलों की दुनिया में उड़ान भरने के लिए उसकी ने अपनी वर्षो की जमी जमाई सरकारी नौकरी छोड़ दी है और अब उसका ख्वाब अपने बेटे को ओलम्पिक में पदक जीत कर देश का नाम रोशन करने का है।
हृदय बताते हैं कि किस तरह से 11 साल पहले उनकी जर्नी शुरू हुई। जब वह पढ़ रहे थे तो एक दिन उनके पिता जी उन्हें शूटिंग रेंज में ले गए थे और फिर उसके बाद उनके अंदर खेल को लेकर ऐसी ललक जगी कि उन्होंने इसे ही अपने जीवन का मकसद बना लिया। हृदय अपनी ख्वाहिश को पूरा करने में माँ की अहम भूमिका मानते हैं। वह कहते हैं कि अगर माँ नही होती तो सहाय वह इतने महंगे गेम के बारे में सोच भी नही सकते थे। जब उन्होंने माँ के सामने राइफल शूटिंग के बारे में जिक्र किया तो माँ ने बगैर कुछ सोचे समझे हां कर दी। फिर क्या था हृदय हज़ारिका जुट गए अपने सपने को साकार करने में और आज उनकी झोली में कई पुरस्कार है।
प्रदीप
वार्ता