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राज्य


बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव का विरोध करेगा उपभोक्ता परिषद

लखनऊ 19 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में अगले महीने बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव से खफा उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में अभी से लामबंदी शुरू कर दी है।
सूबे में तीन चरणों में होने वाले नगर निगम चुनाव की प्रक्रिया एक दिसम्बर को समाप्त होने की संभावना है। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार कभी भी बिजली दर में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला और उनसे विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-108 के तहत ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में प्रस्तावित लगभग 350 प्रतिशत व किसानों की 80 प्रतिशत वृद्धि को नाम मात्र वृद्धि में परिवर्तित करने की मांग की।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आज यहां कहा कि उदय अनुबन्ध में औसत वृद्धि 6.95 प्रतिशत थी मगर इसके विपरीत पावर कार्पोरेशन ने 22.66 प्रतिशत का प्रस्ताव दिया जो तर्कसंगत नही है।
उन्होने कहा कि मल्टी ईयर टैरिफ प्रस्ताव के तहत वर्ष 2017-18 के लिये नई बिजली दर की घोषणा नगर निगम चुनाव आचार संहिता के बाद कभी भी हो सकती है। परिषद की मांग है कि पावर कार्पोरेशन द्वारा ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में लगभग 350 प्रतिशत वृद्धि किसानों की 80 प्रतिशत व शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की 15 प्रतिशत वृद्धि को वापस लिया जाये।
श्री वर्मा ने कहा कि सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-108 के तहत लोक महत्व का विषय मानते हुए नियामक आयोग को यह निर्देश दें कि व्यापक बिजली दर बढ़़ोत्तरी को नाम मात्र बढ़ोत्तरी में परिवर्तित किया जाये। वह इसलिये भी जरूरी है कि विगत दिनों उदय स्कीम में 2017-18 के लिये मात्र 6.95 प्रतिशत औसत वृद्धि प्रस्तावित थी, लेकिन पावर कार्पोरेशन द्वारा मनमाने तरीके से 22.66 प्रतिशत औसत वृद्धि प्रस्तावित की गयी है। जो उदय अनुबन्ध का खुला उल्लंघन है।
उन्होने कहा कि विगत वर्ष राज्य सरकार, केन्द्र सरकार व पावर कारपोरेशन के बीच उदय स्कीम के तहत त्रिपक्षीय समझौता हुआ था जिसमें बिजली कम्पनियों की सेहत में सुधार के लिये अनेकों वित्तीय मानक तय किये गये थे। कारपोरेशन अब इस त्रिपक्षीय समझौते से पीछे हट रहा है। बिजली दरों में कई गुना बढोत्तरी आयोग को सौंपा गया है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।
प्रदीप भंडारी
वार्ता
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