Thursday, Apr 18 2024 | Time 05:50 Hrs(IST)
image
राज्य


शास्त्रीय संगीत से लेकर पाश्चात्य धुनो पर गाने मे महारत हासिल करने वाली आशा भोंसले ने वर्ष 1981 मे प्रदर्शित फिल्म उमराव जान से अपने गाने के अंदाज मे परिवर्तन किया । फिल्म उमराव जान से आशा भोंसले एक कैबरे सिंगर और पॉप सिंगर की छवि से बाहर निकली और लोगो को यह अहसास हुआ कि वह हर तरह के गीत गाने मे सक्षम है। उमराव जान के लिये आशा ने ..दिल चीज क्या है.. और ..इन आंखो की मस्ती के.. जैसी गजलें गाकर आशा को खुद भी आश्चर्य हुआ कि वह इस तरह के गीत गा सकती है । इस फिल्म के लिये उन्हे अपने कैरियर का पहला नेशनल अवार्ड भी मिला ।
1994 मे अपने पति आर डी बर्मन की मौत से आशा भोंसले को गहरा सदमा लगा और उन्होने गायिकी से मुंह मोड़ लिया लेकिन उनकी जादुई आवाज आखिर दुनिया से कब तक मुंह मोड़े रहती। उनकी आवाज की आवश्यकता हर संगीतकार को थी। कुछ महीनों की खामोशी के बाद संगीतकार ए.आर.रहमान ने इसकी पहल की । रहमान को अपने रंगीला फिल्म के लिये आशा की आवाज की जरूरत थी। उन्होने 1995 में ..तन्हा तन्हा .. गीत फिल्म रंगीला के लिये गाया । आशा के सिने कैरियर मे यह एक बार फिर महत्वपूर्ण मोड़ आया और उसके बाद उन्होने आजकल की धूम धड़ाके से भरे संगीत की दुनिया में कदम रख दिया ।
आशा भोंसले को बतौर गायिका आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिल चुके है।आशा भोंसले को वर्ष 2001 मे फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व उन्हें उमराव जान
और इजाजत में उनके गाये गीतों के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। आज रिमिक्स गीतों के दौर मे बनाये गये गानो पर यदि एक नजर डाले तो पायेगे कि उनमे से अधिकांश नगमें आशा भोंसले ने ही गाये थे। इन रिमिक्स गानो मे पान खाये सइयां हमार पर्दे मे रहने दो .जब चली ठंडी हवा .शहरी बाबू दिल लहरी बाबू.झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में काली घटा छाये मोरा जिया घबराये लोगो न मारो इसे .कह दूं तुम्हें या चुप रहूं और मेरी बेरी के बेर मत तोड़ो.जैसे सुपरहिट गीत शामिल है ।
आशा भोंसले ने हिन्दी फिल्मी गीतों के अलावा गैर फिल्मी गाने गजल .भजन और कव्वालियो को भी बखूबी गाया है । जहां एक ओर संगीतकार जयदेव के संगीत निर्देशन में जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा की कविताओ को आशा ने अपने स्वर से सजाया है वही फिराक गोरखपुरी और जिगर मुरादाबादी के रचित कुछ शेर भी गाये है। जीवन की
सच्चाइयो को बयान करती जिगर मुरादाबादी की गजल ..मैं चमन में जहां भी रहूं मेरा हक है फसले बहार पर .. उनके जीवन को भी काफी हद तक बयां करती है ।
प्रेम टंडन
वार्ता
More News
दो लड़कों की जोड़ी फिर होगी फ्लाप: भूपेन्द्र चौधरी

दो लड़कों की जोड़ी फिर होगी फ्लाप: भूपेन्द्र चौधरी

17 Apr 2024 | 11:52 PM

लखनऊ 17 अप्रैल (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि दो लड़कों की जोड़ी पहले भी उत्तर प्रदेश में फ्लॉप रही थी और एक बार फिर इस जोड़ी को यूपी की जनता सिरे से नकार देगी।

see more..
जम्मू-कश्मीर:आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय व्यक्ति को मारी गोली

जम्मू-कश्मीर:आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय व्यक्ति को मारी गोली

17 Apr 2024 | 11:27 PM

श्रीनगर, 17 अप्रैल (वार्ता) दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के जबलीपोरा बिजबेहरा शहर में आज शाम आतंकवादियों ने गोलीबारी की और बिहार के एक गैर-स्थानीय व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल कर दिया।

see more..
image