देवरिया,08 सितम्बर (वार्ता) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति(एससी-एसटी) संशोधन विधेयक को लेकर सवर्ण समाज की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के अलावा पार्टी के घोर समर्थकों काे भी अखर रही है।
भाजपा समर्थकों को आशंका है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह मामला पार्टी के लिये परेशानी का सबब बन सकता है। अगणी जाति के भारत बंद ने इन संभवानाओं को बल दिया है। सोशल मीडिया पर इस एक्ट में संशोधन का जमकर विरोध हो रहा है।
पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता और देवरिया से सांसद कलराज मिश्र ने इस कानून में संशोधन के खिलाफ अपनी असहमति जताकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि इस कानून में संशोधन करने से जहां सवर्ण जाति के लोग नाराज हैं तथा इसका दुरूपयोग भी हो सकता है।
उधर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भी एसी-एसटी कानून में संशोधन काे लेकर अपनी असहमति जता चुके हैं। उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,बिहार,राजस्थान आदि राज्यों में इस कानून में संशोधन का भारी विरोध देखने को मिला है। इन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और वहां की जनता ने इस कानून में संशोधन के खिलाफ विरोध करके जता दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2019 यहां भाजपा के लिये रास्ते ठीक नहीं हो सकते हैं।
भाजपा समर्थक और पेशे से अधिवक्ता सुनील श्रीवास्तव का कहना है कि एससी-एसटी अधिनियम में संशोधन से इसका दुरूपयोग होगा। इससे नकारा नहीं जा सकता। भाजपा को सवर्णों के साथ अन्य जातियों का भरपूर मत पिछले चुनाव में मिला था लेकिन अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जन जाति को रिझाने के लिये एक्ट में संशोधन कर उसने मुश्किलों को न्योता दिया है।
गृहणी कालिन्दी दुबे का कहना है कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन से भाजपा यह जान रही है कि उनको 2019 के चुनाव में मतों के माध्यम से फायदा मिलेगा। यह तो समय बतायेगा,लेकिन सच्चाई यह है कि इस कानून में संशोधन से सवर्णों का भाजपा से मोह भंग होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि रसोई गैस,पेट्रोल और डीजल के दाम बड़ते जा रहे हैं। भाजपा कहती रही है कि अच्छे दिन आयेंगे लेकिन अच्छे दिन जिस तरह से दिखने चाहिये,वे दिखे नहीं।