राज्यPosted at: Sep 10 2018 6:28PM अदालत ने दरोगा के खिलाफ पास्को एक्ट में मामला दर्ज करने के दिए आदेश
मथुरा, 10 सितंबर (वार्ता )उत्तर प्रदेश में मथुरा की पाक्सो कोर्ट के न्यायाधीश विवेकानन्द शरण त्रिपाठी ने साेमवार को एक किशोरी का शील भंग करने के प्रयास की रिपोर्ट लिखने में आनाकानी करने पर दरोगा के खिलाफ भी पास्को एक्ट में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि 9 अगस्त 2018 को हाईवे थाना क्षेत्र की एक कालोनी में 13 वर्षीय किशोरी के साथ उसी क्षेत्र के पप्पू नाम के दर्जी ने छेडछाड़ कर बलात्कार करने का प्रयास किया। घटना के समय पीड़िता के माता-पिता काम पर गए हुए थे। किशोरी के शोर करने पर पड़ोसियों के वहां आने से आरोपी भाग गया।
उन्होंने बताया कि घटना की रिपोर्ट लिखाने के लिए जब हाईवे थाने में किशोरी का पिता गया तो वहां मौजूद सब इंसपेक्टर अमरेश कुमार ने उससे यह कहकर तहरीर ले ली किवह मामले की जांच करेगा उसके बाद ही रिपोर्ट लिखेगा।
उन्होंने बताया कि सब इंसपेक्टर इसके बाद जांच करने के लिए किशोरी के घर पर आया किंतु बाद में उसने एक दिन किशोरी के पिता एवं आरोपी पप्पू के भाई राजेश को थाने पर बुलाया और राजेश से कुछ कागज में लिखाकर दोनों को घर भेज दिया और रिपोर्ट नही लिखी। किशोरी के पिता ने इसके बाद रजिस्ट्री से पूरा विवरण वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक (एसएसपी) के यहां भेजा पर उसकी रिपोर्ट फिर भी नही लिखी गई।
श्री सिंह के अुनसार बाद में 156 सीआरपीसी में उसने पास्को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत में पूरी घटना का शपथ पत्र पेश किया।
न्यायाधीश ने दरोगा द्वारा घटना की रिपोर्ट न लिखने को अनुचित माना क्योकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश में किशोरी के शील भंग करने के प्रयास के मामले की प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नही है और उसकी एफआईआर तुरंत ही लिखी जानी चाहिए।
न्यायाधीश ने हाईवे थाने के थानाध्यक्ष को आदेश दिया कि पप्पू दर्जी के खिलाफ पास्को एक्ट के साथ साथ आईपीसी की सुसंगत धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करें तथा उसी क्राइम नम्बर में सब इंसपेक्टर अमरेश कुमार के खिलाफ 21 पाक्सो एक्ट एवं 166(ए)आईपीसी में मुकदमा दर्ज करें। अदालत ने पीड़िता एवं शिकायतकर्ता के 161/164 आईपीसी में बयान दर्ज कर 17 सितंबर को अदालत को की गई कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश दिए गए है।