राज्यPosted at: Sep 11 2018 11:33AM शंकर और जयकिशन के बीच भी हुयी थी अनबन. जयकिशन की पुण्यतिथि 12 सितंबर के अवसर पर .मुंबई 11 सितंबर (वार्ता) भारतीय सिनेमा जगत में सर्वाधिक कामयाब संगीतकार जोड़ी शंकर -जयकिशन ने अपने सुरों के जादू से श्रोताओं को कई दर्शकों तक मंत्रमुग्ध किया और उनकी जोड़ी एक मिसाल के रूप में ली जाती थी लेकिन एकवक्त ऐसा भी आया जब दोनो के बीच अनबन हो गयी थी । शंकर और जयकिशन ने एक दूसरे से वादा किया था कि वह कभी किसी को नहीं बतायेंगे कि धुन किसने बनायी है लेकिन एक बार जयकिशन इस वादे को भूल गये और मशहूर सिने पत्रिका फिल्मफेयर के लेख में बता दिया कि फिल्म संगम के गीत.. ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कि तुम नाराज न होना.. की धुन उन्होंने बनाई थी । इस बात से शंकर काफी नाराज भी हुये। बाद में पार्श्वगायक मोहम्मद रफी के प्रयास से शंकर और जयकिशन के बीच हुये मतभेद को कुछ हद तक कम किया जा सका । शंकर सिंह रघुवंशी का जन्म 15 अक्तूबर 1922 को पंजाब में हुआ था। बचपन के दिनों से ही शंकर संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी रूचि तबला बजाने में थी।उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बाबा नासिर खानसाहब से ली थी । इसके साथ ही उन्होंने हुस्न लाल भगत राम से भी संगीत की शिक्षा ली थी । अपने शुरूआती दौर मे शंकर ने सत्यनारायण और हेमावती द्धारा संचालित एक थियेटर ग्रुप में काम किया । इसके साथ ही वह पृथ्वी थियेटर केसदस्य भी बन गये जहां वह तबला बजाने का काम किया करते थे । इसके साथ ही पृथ्वी थियेटर के नाटकों मे वह छोटे मोटे रोल भी किया करते थे । जयकिशन का पूरा नाम जयकिशन दयाभाई पांचाल था। उनका जन्म चार नवम्बर 1929 को गुजरात के वंसाडा में हुआ था । जयकिशन हारमोनियम बजाने में निपुण थे और उन्होंने वाडीलालजी.प्रेम शंकर नायक और विनायक तांबे से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी हलांकि वह अभिनेता बनना चाहते थे। अभिनेता बनने का सपना लिये जयकिशन ने मुंबई का रूख किया जहां वह एक फैक्ट्री में टाइमकीपर..समयपाल.. की नौकरी करने लगे । उसी दौरान उनकी मुलाकात शंकर से हुयी। शंकर की सिफारिश पर जयकिशन को पृथ्वी थियेटर में हारमोनियम बजाने के लिये नियुक्त कर लिया गया ।प्रेम टंडनजारी वार्ता