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राज्य


श्रीमती मुर्मू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा ऐसी हो जिससे मानव के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा वे आत्मनिर्भर बनें। वे बालक-बालिकाओं के समान शिक्षा के पक्षधर थे। उनका कहना था गुरू-शिष्य संबंध मधुर होने चाहिये। वे कहते थे कि सर्वसाधारण में शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जाये। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति के लिए तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था पर ध्यान दिये जाने पर भी बल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि आज देश के पास एक विशाल मानव सम्पदा है, जिसमें युवाओं की संख्या अधिक लगभग देश की आबादी का 65 प्रतिशत है। इस युवा आबादी में निहित प्रतिभा को विकसित कर एवं उनके कौशल विकास पर ध्यान देकर आर्थिक और सामाजिक विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं के कौशल विकास के लिए काफी गंभीर हैं। सबके सहयोग एवं इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार से अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा, “हमारे युवा स्वामी विवेकानन्द के दिखाये मार्ग पर चलें। हमारे युवा मेधावी है, उनमें दक्षता है, बस जरूरत है उन्हें सही दिशा प्रदान करने की। उन्होंने अपने कौशल से देश ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशिष्ट पहचान कायम की है। इस परिप्रेक्ष्य में स्वामी जी के दिखाये मार्ग पर चलकर सभी नेकी की राह अपनाये तथा राष्ट्र की प्रगति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करें।”
सूरज रमेश
वार्ता
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