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राज्य


अब किफायती मकानों के निर्माण के लिए 10 से 15 एकड़ भूमि पर मिलेंगे लाइसेंस

श्री खट्टर ने कहा कि प्रदेश में अनधिकृत कालोनियों के विकास की रोकथाम तथा आम जनता को सस्ते प्लाॅट और फ्लैट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय जन आवास योजना के तहत अब पांच से 15 एकड़ की आवासीय परियोजनाओं के लिये लाइसेंस प्रदान किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अफोर्डेबल ग्रुप हाउसिंग कोलोनी विकसित करने के लिये छोटे कस्बों में अधिकतम सीमा 75 एकड़ क्षेत्र तथा गुरुग्राम में 300 एकड़ क्षेत्र की सीमा को हटा लिया है। इसकी जगह अब प्रत्येक रिहायशी सैक्टर में ऐसी परियोजनाओं के लिये भूमि की अधिकतम सीमा 15 एकड़ तक कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछली सरकारों के दौरान ऐसी परियोजनाओं के लिये 1534 लाइसेंस दिए गए। इनमें 2002 के लेकर 2014 के बीच दिये गये। मौजूदा सरकार ने गत चार साल के दौरान 175 लाइसेंस दिए हैं जिनमें पंडित दीन दयाल उपाध्याय आवास योजना के तहत आने वाली कॉलोनियों के लिए 107 तथा 68 अन्य लाइसेंस दिए गए हैं। इनसे लगभग डेढ़ लाख लोगों की आवासीय समस्याएं हल होंगी।
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अब राज्य में बना सकेंगे बिना एनओसी के चौथी मंजिल
श्री खट्टर ने कहा कि सरकार ने कृषि जोन में शैक्षणिक संस्थानों को सीएलयू की अनुमति देने का भी निर्णय लिया है। इसके लिए एनओसी को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा ग्रीन बिल्डिंग में तीन से 15 प्रतिशत तक एफएआर में भी छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि जोन में शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित करने के लिए सीएलयू की अनुमति हेतु राज्य सरकार से जोनिंग नियमों में छूट लेना अनिवार्य था तथा इसके लिये लोगों को लम्बी प्रकिया से गुजऱना पड़ता था जिससे धन और समय की हानि होती थी। वर्तमान सरकार ने नई नीति बनाई जिसके अनुसार शैक्षणिक संस्थान अब कृषि जोन में बनाये जा सकते हैं तथा इसके लिये सरकार से छूट लेने की आवश्यकता नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बिल्डिंग बायलॉज में एकरूपता लाने के लिए हरियाणा भवन संहिता 2017 बनाया गया है जिसके तहत पूरे राज्य में सभी विभाग इसी कोड के तहत अनुमति प्रदान करते हैं। सभी रिहायशी प्लाट भवन योजना एवं कब्जा प्रमाणपत्र हेतु स्व-प्रमाणीकरण प्रणाली लागू की गई है। 2000 वर्ग मीटर के वाणिज्यिक प्लाट के लिए बिल्डिंग प्लान पर स्व-प्रमाणीकरण लागू किया गया है। 1000 वर्ग मीटर तक के कब्जा प्रमाणपत्र हेतु स्व-प्रमाणीकरण लागू किया गया है तथा 1001 से 2000 वर्ग मीटर आकार के एवं 15 मीटर की उंचाई के वाणिज्यिक भवनों पर भी तृतीय पार्टी प्रमाणीकरण लागू किया गया है। इसके अलावा औद्यौगिक प्लाटों पर भी भवन योजना एवं कब्जे हेतु स्व-प्रमाणीकरण लागू किया गया है। रिहायशी मकानों में चौथी मंजिल का निर्माण करने की भी अनुमति दी गई है।
सरकार ने संस्थागत एवं शैक्षणिक भवनों के लिए 150 प्रतिशत एफएआर भी दिया गया है जो पहले 100 प्रतिशत था। रिहायशी क्षेत्रों में पार्किंग की समस्या के समाधान हेतु स्टिल्ट पार्किंग का प्रावधान भी किया गया एवं 150 वर्ग मीटर या इससे अधिक के प्रत्येक रिहायशी प्लाट में कार पार्किंग देना अनिवार्य किया गया है। रिहायशी प्लाटों में बेसमेंट का रिहायशी उपयोग करने की अनुमति दी गई है। ग्रीन बिल्डिंग के मानदंड अपनाने वाले भवन मालिकों को तीन से 15 प्रतिशत तक अतिरिक्त एफएआर का लाभ दिया जाएगा।
रमेश2046
जारी वार्ता
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