राज्यPosted at: Sep 18 2018 9:54PM हाईकोर्ट ने ढेंचा बीज मामले में त्रिवेन्द्र को दी राहत
नैनीताल 18 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड के बहुचर्चित ढैंचा बीज मामले में उच्च न्यायालय से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को राहत मिली है। न्यायालय ने ढैंचा बीज मामले में कार्यवाही को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय इससे पहले भी इसी मामले में दायर एक अन्य याचिका को खारिज कर चुका है।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने बताया कि ढैंचा बीज के मामले में यह दूसरी याचिका दायर की गयी थी। गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष रह चुके रघुनाथ सिंह नेगी की ओर से यह याचिका दायर की गयी थी। इससे पहले भी गाजियाबाद निवासी जेपी डबराल की ओर से इसी मामले में याचिका दायर की गयी थी।
महाधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ढेंचा बीज को खरीदने के मामले में गड़बड़ियां हुई हैं। एस.सी. त्रिपाठी आयोग की ओर से इस मामले में जांच की गयी। त्रिपाठी आयोग इस मामले की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसके विपरीत मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री को क्लीन चिट दे दी।
श्री बाबुलकर ने कहा कि सरकार की ओर से मामले का पुरजोर विरोध किया गया। इस मामले में सरकार ने याचिका की पोषणीयता पर ही सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला दिया। साथ ही कहा कि सरकार की ओर से इस मामले में कार्यवाही की गयी है। त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि ही इस रिपोर्ट कोई कानूनी महत्व नहीं है।
श्री बाबुलकर ने आगे बताया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी अगस्त अंत में उच्च न्यायालय जेपी डबराल की ओर से दायर याचिका को भी खारिज कर चुका है। हालांकि न्यायालय की ओर से याचिकाकर्ता जेपी डबराल को और साक्ष्यों एवं तथ्यों के साथ दुबारा याचिका दायर करने की अनुमति दी गयी थी।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में चर्चित ढेंचा बीज का मामला वर्ष 2010 में प्रकाश में आया। आरोप है कि तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं भाजपा सरकार के दौरान खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिये ढेंचा बीज खरीदा गया। इस मामले में नियमों को ताक पर रखा गया और समुचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कई-कई गुना अधिक दामों पर ढेंचा बीज खरीदा गया। यह भी आरोप है कि खुले बाजार से बीज खरीदने के बजाय अपनी चहेती कंपनी से बीच खरीदा गया।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता