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भारतीय संस्कृति का मर्म परोपकार है और यही लोक कल्याण का पर्याय:योगी

भारतीय संस्कृति का मर्म परोपकार है और यही लोक कल्याण का पर्याय:योगी

गोरखपुर, 23 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मर्म पराेपकार है और यही परोपकार लोक कल्याण का पर्याय है।

श्री गोरखनाथ मन्दिर में ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ 49वीं एवं राष्ट्रसन्त महन्त अवेद्यनाथ की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार को ‘लोक कल्याण भारतीय संस्कृति की विशेषता है’ विषय पर बोलते हुए श्री योागी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र लोकमंगल एवं लोककल्याण भगवान शिवावतारी महायोगी गोरक्षनाथ की तपस्थली श्री गोरक्षपीठ का भी वैचारिक अधिष्ठान है।

उन्होंने कहा कि महन्त दिग्विजयनाथ एवं महन्त अवेद्यनाथ का पूरा जीवन लोककल्याण को ही समर्पित था। उन्होंने कहा कि परोपकार लोककल्याण का ही पर्याय है और भारतीय जीवन मूल्य में स्वयं के स्वार्थ को जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि वही जीवन श्रेष्ठ है जो दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित हो। भारतीय संस्कृति की इसी लोक कल्याणकारी भावना से धर्म की वह शास्वत व्यवस्था प्रतिष्ठित हुई जो परोपकार का मार्ग दिखाता है अौर सदाचार की राह का अनुगामी बनाती है।

उन्होंने कहा कि भारत में लोककल्याण एवं लोकमंगल के लिए ही ऋषि परम्परा सदैव समर्पित रही। संकीर्णता के दायरे से बाहर निकलकर मुक्त चिन्तन के आग्रही संतो के गुरूकुलों से लोककल्याण और लोकमंगल का ही मंत्र गूंजा है। वर्तमान में भी सरकार से अधिक धर्म स्थानों एवं धर्मार्थ संस्थानों द्वारा सेवा के परकल्प चलाये जा रहें हैं।

 

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