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सजा पर रोक संबंधी हार्दिक की अर्जी पर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, कल आस सकता है फैसला

अहमदाबाद, 28 मार्च (वार्ता) गुजरात हाई कोर्ट ने कांग्रेस में शामिल हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के पूर्व नेता हार्दिक पटेल को एक निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगाने संबंधी उनकी अर्जी पर सुनवाई आज पूरी कर ली।
हार्दिक ने गत आठ मार्च को यह अर्जी अदालत में इसलिए दी थी ताकि उनके लोकसभा चुनाव लड़ने में कोई अड़चन नहीं आये। अगर हाई कोर्ट निचली अदालत की सजा पर रोक नहीं लगाता तो गत 12 मार्च को विधिवत कांग्रेस से जुड़ चुके हार्दिक इच्छा के बावजूद चुनाव नहीं लड़ पायेंगे।
न्यायमूर्ति ए जी उरैजी की अदालत ने आज उनकी अर्जी पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि हार्दिक के खिलाफ लगभग डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हैं। कानून तोड़ने वाले को कानून बनाने वाला नहीं बनाया जाना चाहिए। समाज सेवा के लिए विधायक या सांसद बनना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने हार्दिक के वकीलों की ओर इस मामले में पंजाब के मंत्री तथा पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत की दलील का विरोध किया। तत्कालीन सांसद श्री सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के मामले में निचली अदालत से मिली दोषमुक्ति को बदलते हुए पंजाब हाई कोर्ट ने उन्हें सजा दे दी थी और वह अयोग्य घोषित हो गये थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिल गयी थी।
इससे पहले कल एक अन्य सरकारी वकील ने कहा कि हार्दिक के आचरण से स्पष्ट है कि वह कानून का सम्मान नहीं करते और उन्हें मिली जमानत की शर्तों का भी उल्लंघन करते रहे हैं। हार्दिक के वकील आई एच सैयद और रफीक लोखंडवाला की यह दलील भी थी कि हार्दिक उक्त मामले में हिंसा में शामिल नहीं थे और इस बात का कोई सबूत नहीं है। इसलिए उनकी सजा को रद्द किया जाना चाहिए।
अदालत में कल महाधिवक्ता की ओर से उनकी बहस का सार (जिस्ट) जमा किया जायेगा उसके बाद यह फैसला भी सुना सकती है या किसी अन्य दिन इसे सुनायेगी।
यह देखना रोचक होगा कि कांग्रेस पार्टी कब तक जामनगर सीट, जहां से चुनाव लड़ने की इच्छा हार्दिक ने जतायी है, के लिए किसी उम्मीदवार की घोषणा रोक कर रखती है। राज्य की सभी 26 सीटों पर एक साथ 23 अप्रैल को तीसरे चरण में मतदान होगा। इसके लिए नामांकन आज शुरू हो गया और चार अप्रैल तक चलेगा।
ज्ञातव्य है कि हार्दिक को राज्य के महेसाणा जिले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को एक आरक्षण रैली के दौरान हुई हिंसा और तत्कालीन स्थानीय भाजपा विधायक रिषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमले और तोड़फोड़ के मामले में पिछले साल 25 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने दो साल के साधारण कारवास की सजा सुनायी थी। उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। नियम के मुताबिक दो साल या उससे अधिक की सजा वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते।
इसी वजह से हार्दिक ने आठ मार्च को एक बार फिर गुजरात हाई कोर्ट का रूख किया। उनके वकील रफीक लोखंडवाला ने यूएनआई को बताया कि उन्होंने अदालत में दी अर्जी में विसनगर की अदालत की सजा पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है ताकि हार्दिक के चुनाव लड़ने में परेशानी न हो या उन्हें अयोग्य न ठहराया जा सके।
ज्ञातव्य है कि उक्त मामले में अदालत ने कुल 17 में से 14 आरोपियों को बरी कर दिया था जबकि हार्दिक तथा दो अन्य को उक्त सजा सुनायी थी। हार्दिक को बाद में हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी थी पर निचली अदालत के फैसले रद्द करने की उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं दिया था। इसकी सुनवाई अब भी लंबित है।
श्री लोखंडवाला ने कहा कि दो साल की सजा पर रोक नही लगाये जाने पर उनके मुवक्किल के चुनाव लड़ने में अयोग्यता का सवाल सामने आ सकता है।
हार्दिक की अर्जी पर सुनवाई से पूर्व में हाई कोर्ट के एक अन्य जज न्यायमूर्ति आर पी धोलरिया ने इंकार कर दिया था। इसके बाद यह मामला न्यायमूर्ति उरैजी की अदालत में आया है।
रजनीश
वार्ता
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