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राज्य


ब्रांड अमूल- और कड़वी हुई फेडरेशन और दूधसागर डेयरी की लड़ाई

महेसाणा/आणंद/गांधीनगर, 22 अप्रैल (वार्ता) गुजरात में चरम पर पहुंच चुकी चुनावी गहमागहमी के बीच ब्रांड अमूल का स्वामित्व रखने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन तथा इसके 18 सदस्य जिला दुग्ध उत्पादक संघों में से एक महेसाणा की दूध सागर डेयरी के बीच जारी घमासान आज और कड़वा हो गया।
दूधसागर डेयरी ने फेडरेशन से अलग अपना अस्तित्व बनाने की ओर एक कदम बढ़ाते हुए कल बहु राज्य सहकारी समिति के तौर पर अपने पंजीकरण संबंधी प्रस्ताव को पारित कर दिया था। इसने फेडरेशन पर इसके साथ दोहरा बर्ताव करने का आरोप लगाया है और कथित तौर पर 300 करोड़ रूपये से अधिक के घाटे को पाटने की उससे मांग भी की है।
फेडरेशन के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने आज कहा कि डेयरी अपने कुप्रबंधन के कारण घाटे में है। इसने अनापशनाप खर्च किये हैं और बिना जरूरत क्षमता विस्तार भी किया है।
उधर डेयरी के प्रबंध निदेशक निशिथ बक्शी ने श्री सोढी पर सीधे आरोप लगाये और कहा कि 2010 में उनके पद संभालने के बाद से फेडरेशन का कुल कारोबार तो तेजी से बढ़ा है पर इसका संस्थापक सदस्य होने के बावजूद दूधसागर डेयरी का कारोबार क्यों नहीं बढ़ा। उन्होंने कहा कि श्री सोढी मिलने के लिए समय भी नहीं देते। वह मसलों पर बात करने के लिए समय भी नहीं देते।
यह पूछे जाने पर कि क्या बहु राज्य सहकारी समिति के तौर पर पंजीकरण से उनकी डेयरी ब्रांड अमूल और फेडरेशन से अलग हो जायेगी, श्री बक्शी ने यूएनआई से कहा कि यह सब एक लंबी यात्रा है। अभी आगे देखना होगा कि क्या होता है। अभी शुरूआत ही हुई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ही जब ब्रांडो का निजीकरण कर रहा हो तो उनके डेयरी को सहकारी क्षेत्र को बचाने के लिए आगे तो आना ही होगा। हो सकता है कि गुजरात के अन्य डेयरी भी बहु राज्य मॉडल की ओर बढ़ें। यह श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन के नेशनल मिल्क ग्रिड के सपने के अनुरूप भी होगा।
इस बीच, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल, जो स्वयं वित्त मंत्री भी हैं और महेसाणा के रहने वाले हैं, ने आज पत्रकारों से कहा कि दूधसागर डेयरी पशुपालकों को अन्य डेयरियों की तुलना में कम पैसे क्यों देती है और इस पर कर्ज क्यों है इसका स्पष्टीकरण श्री सोढ़ी ने दे दिया है। चुनाव के समय ऐसे मुद्दे नहीं उछलने चाहिए। फेडरेशन या डेयरी के प्रशासन में राज्य सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। अगर डेयरी और फेडरेशन सरकार को इस मामले में शामिल करना चाहे तो वह स्वयं या सहकारी मंत्री अपने सुझाव देंगे।
रजनीश
वार्ता
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