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राज्य


रेलवे मनाएगा पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस

अहमदाबाद, 03 जून (वार्ता) पश्चिम रेलवे की ओर से पांच जून को ‘वायु प्रदूषण’ संकल्पना पर ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जायेगा।
अहमदाबाद मंडल के जनसंपर्क अधिकारी ने विज्ञप्ति में बताया कि पश्चिम रेलवे ने महाप्रबंधक ए. के. गुप्ता के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अभिनव कदम उठाए हैं। पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारकें तथा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लिए किये गये विशेष प्रयासों तथा उठाये गये कदमों के अपेक्षित परिणाम भी मिले हैं। लोअर परेल कारखाने में वायु की गुणवत्ता, उत्सर्जित जल की गुणवत्ता तथा ध्वनि मानकों जैसे पर्यावरण कारकों की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है। वायु में धूल-कणों को कम करने के लिए सेंट्रलाइज्ड मैटिरियल स्टोरेज हेतु ‘ऑटोमेटेड स्टोरेज एवं रिट्रायवल सिस्टम’ (एएसआरएस) लगाये गये हैं। इस प्रणाली से बहुत हद तक मैटिरियल के आंतरिक परिवहन में कमी आती है, जिसके फलस्वरूप धूल तथा वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी भी आती है। कारखाने में वर्तमान में तार/पेवर ब्लॉक से बने हुए फर्श को 300 वर्ग मीटर वाले इपॉक्सी फर्श में बदला गया है। एडमिन बिल्डिंग के 2200 वर्ग मीटर कोबा फर्श को चमकदार टाइल्स से बदला गया है। कारखाने में ताजा हवा के प्रवाह के लिए 400 रूप माउंटेड नेचुरल टर्बो वेंटिलेटर लगाये गये हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का मतलब ईंधन में बचत है। गत वर्षों में चार के मुकाबले सिर्फ दो कोल फायर्ड ओपन हर्थ फर्निश ही उपयोग में लाई जा रही हैं। वर्ष 2016-17 में प्रतिदिन 46.78 किलोग्राम कोयले की खपत होती थी, जो वर्ष 2018-19 में घटकर 18.22 किलोग्राम हो गई है, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मैटिरियल के इन हाउस परिवहन, एएसआरएस के कारण मैटिरियल के परिवहन में कमी के लिए इलेक्ट्रिक ऑपरेटेड ट्रकों के उपयोग से डीजल तेल की खपत में कमी आई है, जिससे वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी हुई है। वर्ष 2016-17 में प्रतिदिन 101.36 लिटर के बजाय वर्ष 2018-19 में प्रतिदिन 80.36 लिटर डीजल का उपयोग किया गया। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हानिकारक अपशिष्ट को सही तरीके से डिस्पोज किया गया। पश्चिम रेलवे द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया। रेलवे ट्रैक के किनारे (420.36 किमी) 12.50 लाख पौधों को लगाया गया। चर्चगेट स्टेशन पर सौंदर्यीकरण के तहत एक वर्टिकल गार्डन बनाया गया।
अहमदाबाद में 126.33 हेक्टेयर क्षेत्र में 3.5 लाख से अधिक पौधे लगाये गये। पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिए पश्चिम रेलवे की सभी 35 यूनिटें - 5 कारखाने, 3 डीजल शेड, 1 इंजीनियरिंग कारखाना तथा 17 कोचिंग डिपो, 6 वैगन डिपो, 2 इलेक्ट्रिक लोको शेड तथा मुंबई सेंट्रल स्थित लॉन्ड्री आईएसओ 14001 प्रमाणित है। मुंबई सेंट्रल में सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल एंड मैनेजमेंट सिस्टम के लिए बायोगैस प्लांट लगाया गया है। इसी प्रकार वडोदरा मंडल के प्रतापनगर रेलवे क्षेत्र में सभी प्रकार के बायो डिग्रेडेबल सॉलिड वेस्ट के लिए बायोटैक वर्मी कम्पोजिटिंग की गई है। जगजीवन राम अस्पताल में बायो मेडिकल लिक्विड वेस्ट के लिए इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, भारतीय रेलवे के अस्पतालों में इस तरह की यह पहली सुविधा है। इसी तरह की इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट भुज तथा सूरत डिपो में लगाये गये हैं। पश्चिम रेलवे द्वारा रेलवे बिल्डिंग में रूफटॉप सोलर पैनल, डिब्बों में सौर ऊर्जा के उपयोग तथा कार्बन फुटप्रिंट में कमी के लिए सोलर पॉवर प्लांट जैसी अभिनव पहल की गई हैं। बेहतर और साफ पर्यावरण के लिए गैर-पारम्परिक ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा रेलवे परिसरों में सोलर पैनल, पवन चक्की, वाटर रिसायक्लिंग प्लांट इत्यादि को स्थापित कर ऊर्जा को संरक्षित किया जा रहा है। पश्चिम रेलवे द्वारा पारम्परिक लाइटों को एलईडी लाइटों से बदला जा रहा है। पश्चिम रेलवे ने सभी विद्युतीकृत स्टेशनों, सर्विस बिल्डिंगों, कॉलोनियों तथा स्टाफ क्वार्टरों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए शत-प्रतिशत एलईडी लाइटें उपलब्ध कराई हैं। मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर स्काई पाइप डे लाइट हार्वेस्टिंग यानी नेचुरल सनलाइट हार्वेस्टिंग प्रणाली स्थापित की गई है।
पश्चिम रेलवे ने ट्रैक पर मल निस्तारण को रोकने के लिए डिब्बों में बायो टॉयलेट लगाये हैं। भावनगर मंडल का पोरबंदर-वंसजालिया खंड, धोला जं.-महुवा (धोला को छोड़कर) तथा राजुला रोड-राजुला सिटी खंड एवं राजकोट मंडल का ओखा-कानालुस ग्रीन कॉरिडोर घोषित किये जा चुके हैं। वर्तमान में पश्चिम रेलवे द्वारा 4864 डिब्बों में से 4137 डिब्बों में 15197 बायो टॉयलेट लगाये गये हैं। सड़क से रेल के ज़रिये कमॉडिटी के निर्बाध परिवहन के साथ-साथ ईंधन में खपत तथा सड़क पर वाहनों की सघनता में कमी के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के समन्वित प्रयासों के तहत पश्चिम रेलवे द्वारा पर्यावरण मित्रवत रो-रो सेवा शुरू की गई है। पहल मुंबई उपनगरीय खंड पर परिचालित अधिकतर रेकों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम है, जिससे ऊर्जा बिल में कमी के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है। वर्तमान में पश्चिम रेलवे की 12 ट्रेनों के 17 रेक हैड ऑन जेनरेशन पॉवर सप्लाई से चालित हैं। अप्रैल 2019 तक इस प्रणाली के ज़रिये 52.87 करोड़ रु. की बचत हुई है। इस प्रणाली से 2433 मीट्रिक ट्रन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पश्चिम रेलवे इस प्रकार के प्रभावी कदम उठा रही है तथा सभी छह मंडलों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के इस सामाजिक दायित्व के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहते हुए हरसम्भव बेहतर प्रयास सुनिश्चित किये जाते हैं।
अनिल.संजय
वार्ता
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