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रूपाणी ने किया इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल एंड हेल्थ केयर एक्जीबिशन का उद्घाटन

गांधीनगर, 10 जून (वार्ता) गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोमवार को यहां भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के सहयोग से भारतीय फार्मास्यूटिकल्स निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) की ओर से आयोजित इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल एंड हेल्थ केयर एक्जीबिशन (आईफेक्स) का उद्घाटन किया।
श्री रूपाणी ने इस अवसर दवा उत्पादकों से आगामी दो दशकों को ध्यान में रखते हुए लोगों को उचित मूल्य पर दवाई और स्वास्थ्य रक्षा प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नई-नई बीमारियों के खिलाफ रक्षात्मक उपचार के रूप में सस्ती और प्रभावी दवा मुहैया कराने का जनसेवा दायित्व दवा उद्योग को निभाना है। दस से 11 जून के दौरान आयोजित इस प्रदर्शनी में 120 देशों के 370 प्रदर्शकों सहित देश-विदेश के 700 से अधिक व्यवसायी शिरकत कर रहे हैं।
उन्हाेंने दवा उद्योग को महज एक व्यवसाय के तौर पर न देखते हुए इसे जनसेवा के लिए ईश्वर द्वारा उपलब्ध कराए गए अवसर के रूप में लेने का सभी से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए कि आम आदमी को गंभीर या अन्य बीमारियों में सस्ती दरों पर दवाइयां सरलता से उपलब्ध हों। दवा उद्यमियों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत गरीब आदमी को भी सस्ती और श्रेष्ठ दवाइयां सुलभ कराने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प में वे भी निष्ठा से सहभागी बने। विश्व में दवाइयों की गुणवत्ता के मानकों पर गुजरात के फार्मास्यूटिकल उद्योग के खरा उतरने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश के कुल दवा उत्पादन में गुजरात की हिस्सेदारी को मौजूदा 30 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी तक ले जाने की राज्य सरकार की योजना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में केंद्र सरकार के सहयोग से मेडिकल डिवाइसेज पार्क शुरू करने की दिशा में भी सरकार प्रतिबद्ध है। गुजरात में राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाईपर) और बीवी पटेल औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान विकास केंद्र (पर्ड) जैसे संस्थान कुशल मैन पावर मुहैया करा रहे हैं। दवा उद्योग सहित उद्योग-व्यापार के सर्वग्राही क्षेत्र में गुजरात ने विकास की लंबी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के विकास का जो पथ बनाया है, हम उस पर आगे बढ़ रहे हैं। नई सरकार में श्री मोदी के नेतृत्व में अब देश में लोगों की आशा-अपेक्षा और विश्वास वैश्विक विकास लक्ष्यों को हासिल करनी है, जिसे साकार करने में गुजरात भी आगे रहेगा। गुजरात में वाइब्रेंट समिट की सफलता के चलते फार्मा क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रुपए के एमओयू किए गए हैं और इसके परिणामस्वरूप रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने इस प्रदर्शनी की सफलता की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए देश-विदेश के प्रदर्शकों का गुजरात की धरती पर स्वागत किया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके परमार ने इस मौके पर कहा कि पिछले दो दशक से देश के कुल दवा उत्पादन के एक तिहाई से अधिक हिस्से का उत्पादन अकेला गुजरात करता है। राज्य में 3,500 से अधिक दवा उत्पादन इकाईयां हैं जिसमें से 600 से अधिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मान्यता प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात ने 1907 में एलेम्बिक फार्मा की स्थापना कर देश में दवा उद्योग की शुरुआत की थी। राज्य की दवा निर्यात की वृद्धि दर गत वर्ष दोहरे अंकों 11 फीसदी को भी पार कर गई है। फार्मा क्षेत्र एक लाख लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है।
फार्मेक्सिल के महानिदेशक राजीव उदय भास्कर ने सभी का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी के उद्देश्य और आयोजन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गुजरात में यह प्रदर्शनी आयोजित कर फार्मा सेक्टर को एक नई दिशा मिली है। आईफेक्स-2019 के चेयरमैन विजयभाई शाह ने आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी में विभिन्न फार्मा उत्पादों के स्टॉल का जायजा लिया।
अनिल राम
वार्ता
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