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परंपरा और आधुनिकता का समन्वय कर शिक्षा को सार्थक बनाएं: कोहली

पाटन, 14 जून (वार्ता) गुजरात के राज्यपाल ओ.पी. कोहली ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय हमारी परंपरा और आधुनिकता का समन्वय कर आज की शिक्षा को सार्थक बनाएं।
श्री कोहली ने यहां के हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय में आयोजित स्वर्ण पदक वितरण समारोह में कहा कि विश्वविद्यालयों की भूमिका ज्ञान सृजन की है। ऐसे में, विश्वविद्यालय हमारी परंपरा और आधुनिकता का समन्वय कर आज की शिक्षा को सार्थक बनाएं। यही समय की मांग है। उन्होंने कहा कि हेमचंद्राचार्य जी का व्याकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। कला एवं ज्ञान की नगरी पाटन ने शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाइयां हासिल की है। पाटण के प्रभुत्व का स्वर्ण युग इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय हमारे गौरव हैं। इस गौरव को बरकरार रखने के लिए विश्वविद्यालय दुनिया में श्रेष्ठता को प्राप्त करें ऐसा हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए। छात्रों के समक्ष आने वाले समय की अनेक नई चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने इक्कीसवीं सदी के अनुरूप अनुसंधान की हिमायत की। भारत के पास समृद्ध ज्ञान की परंपरा है। अतः अब देश विकासशील नहीं बल्कि विकसित बने उस दिशा में ज्ञान का योगदान दें। उन्होंने कहा कि ज्ञानार्जन का उपयोग स्वयं के लिए ही नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में करना चाहिए।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने समारोह में 49 छात्रों को 65 स्वर्ण पदक प्रदान करते हुए युवा छात्रों का शिक्षा के साथ सामाजिक दायित्व की दीक्षा से जीवन निर्माण को सार्थक करने का आह्वान किया।
श्री रूपाण ने इस मौके पर कहा कि स्वर्ण पदक ज्ञान का सम्मान है। 21वीं शताब्दी ज्ञान-विज्ञान की शताब्दी है, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नए भारत के निर्माण की परिकल्पना को साकार करने हम सभी भारत के ज्ञान-विज्ञान की शताब्दी बनाने को संकल्पबद्ध बने। उन्होंने कहा कि गुजरात ने पेट्रोलियम, रक्षा और फोरेंसिक साइंस जैसे विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के जरिए ऐसी सुविधाएं स्थापित की हैं जिससे राज्य के युवाओं को शिक्षा के लिए राज्य और देश के बाहर जाने के बजाय स्थानीय स्तर पर ही श्रेष्ठ ज्ञान मिल सके। हेमचंद्राचार्य गुजराती भाषा और व्याकरण के रचयिता और विद्वान थे और उस दौर में आचार्य श्री की ज्ञान की इस परंपरा ‘सिद्ध हेम शब्दानुशासन’ व्याकरण को हाथी के हौदे पर स्थान देकर सम्मानित किया गया था। गुजरात में आदि-अनादि काल से सरस्वती को महत्व दिया गया है और इसलिए ही वल्लभी जैसी विद्यापीठ की गुजरात में स्थापना की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले दो दशकों में 21वीं सदी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए करीब 60 विश्वविद्यालयों की स्थापना कर युवा शक्ति को व्यापक अवसर मुहैया कराए हैं। उन्होंने छात्र शक्ति का आह्वान किया कि वे व्यक्तिगत जीवन में राष्ट्रहित सर्वोपरि के भाव को अपनाते हुए देश और समाज के लिए जीवन जीएं।
बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी ने कहा कि पिछले 20 वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। सरकार उत्तर गुजरात में मेडिकल कॉलेज की शिक्षा सुलभ कराने की दिशा में प्रयासरत रही है।
कुलपति अनिल नायक ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि यह पांच जिलों के 386 महाविद्यालयों के साथ जुड़ा है। इस विश्वविद्यालय में 14,686 छात्र अध्ययनरत हैं। 320 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विश्वविद्यालय के साथ 4 मेडिकल और 1 डेंटल कॉलेज जुड़े हैं। विश्वविद्यालय में वर्ष 2018 के कला संकाय के 30, वाणिज्य के 4, विज्ञान के 17, अभियांत्रिकी और मेडिकल के 1-1, प्रबंधन के 4, शिक्षा के 2, विधि और कंप्यूटर के 3-3 सहित कुल 49 छात्रों को 65 पदक प्रदान किए गए। इसमें 8 छात्रों ने 2 और 4 छात्रों ने 4 पदक हासिल किए।
इस अवसर पर डॉ. बाबा साहब अंबेडकर की सामाजिक विचारधारा पुस्तक के विमोचन के साथ ही विश्वविद्यालय में छात्रों की सुविधा के लिए दो ई-रिक्शा का लोकार्पण भी किया गया।
अनिल.संजय
वार्ता
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