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मॉब लिंचिंग छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों का गढ़ा नया राजनीतिक शब्द - गिरिराज सिंह

अहमदाबाद, 14 जुलाई (वार्ता) केंद्रीय पशुपालन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने आज कहा कि ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ के हाथों पिटायी के कारण होने वाली मौत के लिए प्रयुक्त) जैसा शब्द राजनीतिक प्रकृति वाला और नया है और इसे छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों ने गढ़ा है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि अगले एक साल में सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने पर पूरी तरह रोक लगाने की दिशा में सरकार काम कर रही है।
जब उनसे पूछा गया कि आवारा फिरने वाले गाेवंशीय पशुओं की तस्करी अौर वध आदि के संदेह में भीड़ के हाथों पिट कर मारे जाने की घटनायें यानी मॉब-लिंचिंग भी हो जाती है तो बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट पर जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार को हरा कर जीते श्री सिंह, जिन्हें उनके विवादास्पद बयानों के लिए जाना जाता है, ने आज यहां पत्रकारों से तल्ख लहजे में कहा, ‘यह लिंचिंग-विंचिंग नया राजनीतिक शब्द है जिसे चलाने वाले छद्म निरपेक्षतावादी लोग हैं।’

उन्होंने कहा कि पशुओं के प्रबंधन में मामले में तीन मुख्य चुनौतियां हैं। इनमें से पहला खूंटे से बंधे घरेलू पशुओं के नस्ल सुधार का है, दूसरा गौशालों में रहने वाले पशुओं को दीर्घोपयोगी बनाने का और तीसरा बेसहारा पशुओं के बारे में ऐसा मॉडल तैयार करने का है जो इन्हें भी इनका खर्च उठाने योग्य बनाये ताकि कोई भी इन्हें सड़कों पर न छोड़े।
श्री सिंह ने कहा कि देश में गौवंशीय पशुओं में केवल भैंसों को ही मांस के लिए कत्ल करने की इजाजत है और ऐसे पशुओं के गैरकानूनी कत्ल करने वालों को जेल भेजने के लिए काूननी प्रावधान और पुलिस मौजूद हैं।
इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन में श्री सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने पहली बार उनके मंत्रालय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य उद्योग मंत्रालय को कृषि से अलग किया है। जीडीपी में 6 प्रतिशत हिस्सा और 75000 करोड़ निर्याता वाला यह मंत्रालय किसानों की आय दुगनी करने में मददगार होगा।
उन्होंने देशी दुधारू पशुओं के संवर्धन के साथ ही साथ ऐसे पशुओं के नस्ल सुधार पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के जरिये नस्ल सुधार के लिए इस वित्तीय साल में देश में 11 प्रयोगशालाओं के जरिये केवल बछियों को जन्म देने वाले सेक्स्ड सीमेन यानी वीर्य के 20 लाख खुराक तैयार किये जायेंगे। इसके अलावा भ्रूण प्रत्यारोपण तथा आईवीएफ जैसे तकनीक का भी इस्तेमाल किया जायेगा।
श्री सिंह ने पशुओं में बीमारियों के उन्मूलन की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पोलियो उन्मूलन की तर्ज पर पशुओं के खुरपका रोग को अगले पांच साल में समाप्त करने के लिए साढ़े 13 हजार करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं। इस बीमारी के कारण पशुपालक/किसान की आय 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है। उन्होंने पशुओं के लिए सहजन (गुजराती में सरग्वा) जैसे पौष्टिक आहार की उपलब्धता बढ़ाने तथा देश में दूध की उत्पादन लागत घटाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अमूल की मदद से गुजरात के आणंद जिले के एक गांव में गोबर और गौमूत्र की बनी बायो गैस को लेकर एक प्रयोग हो रहा है और अगर यह सफल रहा तो इससे देश की एलपीजी गैस के आयात पर निर्भरता कम करने में खासी मदद मिलेगी।
रजनीश
वार्ता
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