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गुजरात में गुर्दे के रोगी अधिक, गुजरातियों को बढ़ानी चाहिए किडनी दान की दर - डा़ श्रीमाली

अहमदाबाद, 05 अक्टूबर (वार्ता) जाने माने गुर्दा रोग विशेषज्ञ तथा डायलिसिस संबंधी एक मशहूर पुस्तक के लेखक डा़ जिगर श्रीमाली ने आज गुजरात, जहां राष्ट्रीय औसत की तुलना में गंभीर किडनी रोगों के कही अधिक रोगी हैं, के लोगों से बड़ी संख्या में किडनी और अन्य अंगों का दान करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि किडनी कार्यक्षमता के लिए किये जाने वाले ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट (जीएफआर) का परिणाम अगर 60 से कम हो तो इसे गंभीर किस्म के किडनी रोग यानी सिग्निफिकेंट किडनी डिजीज (एसकेडी) के तहत रखा जाता है।
‘द टेक्स्ट बुक ऑफ डायलिसिस थेरेपी’, जिसे देश दुनिया के कई चिकित्सा संस्थानों में बतौर पाठ्य पुस्तक इस्तेमाल किया जाता है, के लेखक डा़ श्रीमाली ने यहां रेनुज किडनी अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर यूएनआई से कहा, ‘एसकेडी रोगों का राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत है जबकि गुजरात में यह 8.6 प्रतिशत है। ऐसा मुख्यत: गुजराती लोगों में मोटापे, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप की अधिकता के कारण है। अकेले अहमदाबाद में ऐसे पांच लाख रोगी है और हर साल शहर में डायलिसिस की जरूरत वाले 1500 रोगी जुड़ जाते हैं जिनमें से मात्र 500 को ही प्रत्यारोपण के लिए किडनी मिला पाता है। गुजरात के लोग नेत्रदान के मामले में काफी आगे हैं पर किडनी और अन्य अंगदान में काफी पीछे हैं जबकि यहां इसके लिए जरूरतमंद रोगी अधिक हैं। अमेरिका, स्पेन और पुर्तगाल आदि पश्चिमी देशों में किडनी दान का आंकड़ा प्रति दस लाख 35 है जबकि भारत में यह मात्र 0.05 प्रति दस लाख है। गुजरात में तो यह और भी कम है। इसे सुधारने की बेहद जरूरत है।’
डा श्रीमाली ने कहा कि किडनी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए रक्त शर्करा और रक्तचाप का बेहतर नियंत्रण, व्यायाम और रोजाना आठ से दस ग्लास पानी पीना जरूरी है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सरकार की ओर किडनी रोगियों की मदद के लिए उठाये गये कदमों का खासा लाभ हुआ है। मां अमृतम जैसी योजनाओं ने गरीब रोगियों के डायलिसिस खर्च के बोझ को खासा कम किया है।
रजनीश
वार्ता
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