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राज्य


नौकरशाही और सरकारी तंत्र की नकारात्मक छवि दूर करने की प्रधानमंत्री ने की अपील

केवड़िया (गुजरात), 31 अक्टूबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देश में नौकरशाही और सरकारी तंत्र की नकारात्मक छवि दूर करने का आहवान भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारियों से किया।
उन्होंने यहां सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के निकट परवीक्षाधीन आईएएस अधिकारियों को अपने संबोधन में उन्हें ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्राॅब्लम और टोटल सोल्यूशन’ (एक जिला, एक समस्या और पूर्ण समाधान) का सूत्र भी बताया और कहा कि एक बार में एक समस्या का चयन कर इसके पूर्ण समाधान का प्रयास होना चाहिए अन्यथा संसाधन और ध्यान दोनो बंट जाते हैं।
उन्होंने कहा कि नौकरशाही के साथ ब्रिटिशकालीन रसूख का भाव जुड़ा है जिसे दूर किया जाना चाहिए और सारा जोर जनता के जीवनयापन की सहूलियत बढ़ाने पर होना चाहिए। सोशल मीडिया हालांकि सूचना का बहुत ही विश्वसनीय स्रोत नहीं माना जा सकता पर इसका भी उपयोग जनता से जुड़ाव के लिए हो सकता है। स्थानीय स्तर पर फैसले लेते समय राष्ट्रीय स्तर पर इसके असर का भी विचार किया जाना चाहिए। हर जिले में बेहतर काम कर देश को पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद की जा सकती है।
श्री मोदी ने कहा कि युवा अधिकारियों के समक्ष नौकरशाही और तंत्र के प्रति बनी नकारात्मक छवि को दूर करने की चुनौती भी है। इसकी हालत ऐसी है कि इन शब्दों के सामने बैड यानी बुरा शब्द लगाने की जरूरत ही नहीं रह गयी है। उन्होंने हैंड ओवर नोट समेत कई पुरानी बेस्ट प्रैक्टिसेज यानी अच्छी परंपराओं को फिर से जीवित करने , एसी कमरों में बैठ कर चर्चा करने की बजाय कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर जनता और अन्य से सीधा ईमानदार फीडबैक हासिल करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने अधिकारियों से बेहतर नीतिगत निर्णयों के लिए लोगों से बेरूखी से मिलने और दूरी बनाने का हार्ड पावर तरीका छोड़ साफ्ट पावर का मेलमिलाप वाला कारगर तरीका अपनाने का भी आहवान किया।
श्री मोदी ने कहा कि लोगों को मिलने वाली सेवा में बेहतरी और उनकी जिंदगी आसान बनाना एक प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। साथ ही देश के और इसके लोगों के प्रति कृतज्ञता का भाव भी जरूरी है। आज देश का नागरिक पहले से ज्यादा संवदेनशील है। तंत्र का प्रयास यह होना चाहिए कि सामान्य व्यक्ति को रोजमर्रा की जिंदगी में सरकार से जूझना न पड़े।
उन्होंने निर्णय लेने से बचने की यथास्थितिवादी प्रवृति को छोड़ने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी अपेक्षा नहीं होती। वे पूरी आजादी से काम कर सके इसके लिए हर जरूरी प्रशासनिक किये जा रहे हैं। उनकी कोशिश है कि अधिकारियों की नियत कार्यकाल हो और ट्रांसफार्मर राज खत्म हो। प्रशिक्षण की मौजूदा प्रणाली में भी पूरी फेरबदल की ही जा रही है। उन्होंने सरदार पटेल को देश में ब्रिटिश शासन के बाद प्रशासनिक सुधार का महत्वपूर्ण शुरूआतकर्ता बताते हुए कहा कि सभी को सिविल सेवकों को राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रसेवक बनाने के उनके सपनों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि नये भारत के सपने को पूरा करने के लिए नौकरशाही में 21 वीं सदी की सोच और सपने अनिवार्य हैं। पहले के अधिकारियों को संसाधनों के अभाव में काम करना पड़ता था पर अब ऐसा नहीं है। अब देश तेजी से बदल रहा है और अरज देश में विपुल युवा शक्ति अन्न के भंडार और आधुनिक टेक्नोलॉजी है। अब के अधिकारियों को इस विपुलता का पूरा लाभ उठाना है। केवल नौकरी का भाव नहीं देश सेवा का भाव प्रबल होना चाहिए।
रजनीश
वार्ता
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