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न्यूमोनिया से बच्चों की मौत के आंकड़े को घटाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुरू किया ‘सांस’ अभियान

गांधीनगर, 16 नवंबर (वार्ता) देश में बच्चों की न्यूमोनिया से होने वाली मौतों को कम करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज यहां सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन्स टू न्यूट्रिलाइज न्यूमोनिया सक्शेसफुली (एसएएएनएस यानी सांस) नाम से एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता और क्रियात्मक अभियान को लांच किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मौजूदगी में आज से यहां शुरू हुए तीन दिवसीय छठे राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में नवाचार, सामग्री और दोहराये जा सकने वाले व्यवहारों के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान यहां महात्मा मंदिर में सांस अभियान के शुरूआत की घोषणा की गयी।
बाद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आयुक्त डा़ अजय खेरा ने पत्रकारों को बताया कि देश में हर साल पांच साल से कम उम्र के लगभग 1 लाख 40 हजार बच्चों की मौत हो जाती है जो हर साल मरने वाले इस उम्र के बच्चों की कुल संख्या नौ लाख का लगभग 15 प्रतिशत है। इस तरह से प्रति एक हजार बच्चों के जन्म के बाद पांच से अधिक की मौत न्यूमोनिया की बीमारी से हो जाती है। सांस अभियान के जरिये इस आंकड़े को वर्ष 2025 तक घटा कर प्रति हजार तीन से भी कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने बताया कि न्यूमोनिया बैक्टिरिया और वायरस दोनो से होता है। संबंधित तीन टीकों के जरिये ही 50 प्रतिशत मौतों को टाला जा सकता है। इसके अलावा घर के भीतर हवा के प्रदूषण काे कम करने, बच्चों को मां का दूध और उचित पोषण देने आदि के जरिये भी इसे काफी कम किया जा सकता है।
श्री खेरा ने एक प्रश्न के उत्तर में यूएनआई को बताया कि सांस अभियान के तहत न्यूमोनिया की बीमारी में कारगर माने जाने वाले एमोक्सिलिन एंटी बायटिक को अब सुदूरवर्ती इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों में भी उपलब्ध कराया जायेगा तथा आशा बहनों और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी जरूरत पड़ने पर इसकी खुराक प्रभावित बच्चों को देने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। अभियान के तहत न्यूमोनिया के मामलों में आक्सीजन की आपूर्ति के बारे में सटीक जानकारी देने वाले उपकरण को भी छोटे स्वास्थ्य केंद्रों तक में उपलब्ध कराया जायेगा।
ज्ञातव्य है कि फेफड़ों की कार्यक्षमता को बाधित करने वाली बीमारी न्यूमोनिया दुनिया भर में बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार संक्रमण जनित सबसे बड़ा कारण है। श्री खेरा ने कहा कि इस बीमारी का समय रहते पता लग जाने और उचित उपचार से बच्चों की जिंदगी आसानी से बचायी जा सकती है। इस बीमारी के मामले उप सहारा अफ्रीकी क्षेत्र और दक्षिण एशिया में अधिक देखे जाते हैं।
रजनीश
वार्ता
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