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अगले पांच साल में भारतीय जीन शृंखला के मामले में भी सामान्य की परिभाषा तय हो सकेगी - अग्रवाल

अहमदाबाद, 27 नवंबर (वार्ता) देश के जाने माने जीवविज्ञानी तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद तथा इंस्टीच्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इटीग्रेटेड बायोलोजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के निदेशक डा़ अनुराग अ्रग्रवाल ने आज कहा कि आने वाले पांच साल में भारतीय जीनोमिक्स की शृंखला के बारे में इस बात की मोटे तौर पर जानकारी हो जायेगी कि इस मामले में ‘सामान्य’ किसे कहा जाना चाहिए।
यहां दक्षिण एशिया के पहले अत्याधुनिक जीन शृंखला विश्लेषक उपकरण नोवासेक 6000 से युक्त न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक लिमिटेड के जीनोमिक मेडिसिन केंद्र के उद्घाटन के बाद श्री अग्रवाल ने कहा कि पश्चिमी देशों में जीन शृंखला के मामले में सामान्य की परिभाषा तो तय हो चुकी है पर भारत में ऐसा नहीं है। यह बहुत विविधतापूर्ण देश है और यहां अलग अलग जीन वाले लोग रहते हैं तो भी जीनोमिक्स के अध्ययन और शोध की मौजूदा गति के आधार पर ऐसा माना जा सकता है कि अगले पांच साल में भारतीय जीन अथवा जीनों के बारे में सामान्यता संबंधी परिभाषा मोटे तौर पर तैयार हो जायेगी जिसमें देश की 80 प्रतिशत तक की आबादी को आवरित किया जा सकेगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जीनोमिक्स आधारित व्यक्तिगत उपचार भारत में भी आने वाले समय में आम लोगों की पहुंच में भी आ जायेगा।
रजनीश
वार्ता
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