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राज्य


गुजरात में टिड्डी दलों से 3 से 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान

पालनपुर, 26 दिसंबर (वार्ता) गुजरात के कृषि एवं सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पूनमचंद परमार ने गुरूवार को कहा कि राज्य में टिड्डी दलों के आक्रमण के परिणामस्वरूप लगभग तीन से चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
श्री परमार ने कहा कि राज्य के बनासकांठा जिले के थराद, वाव और राडका सहित अन्य क्षेत्रों में टिड्डी दलों के आक्रमण के कारण किसानों की फसल को हुए नुकसान तथा विकट स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने गहन आयोजन शुरू किया है। इस आयोजन तथा टिड्डी नियंत्रण के लिए युद्धस्तर पर उठाए जा रहे कदमों की विस्तृत जानकारी उन्होंने मीडिया को दी।
उन्होंने कहा कि थराद तहसील के चार गांवों के आसपास बड़े पैमाने पर नजर आए टिड्डियों पर भारत सरकार के लोकस्ट कंट्रोल की 19 तथा राज्य सरकार एवं स्थानीय 25 ट्रैक्टरों द्वारा माउंटेड स्प्रेयर से कीटनाशकों का छिड़काव कर 25 फीसदी टिड्डियों का नाश किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इन टिड्डी दलों के आक्रमण के परिणामस्वरूप लगभग तीन से चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने प्रभावित किसानों को सहायता देने का दिशानिर्देश कृषि विभाग को दिया है। इसके अनुसार राज्य सरकार सर्वे कर एसडीआरएफ के नियमों के मुताबिक नुकसान के आधार पर सहायता देगी।
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की फील्ड की टीमों द्वारा टिड्डियों की उपस्थिति के संबंध में लगातार ट्रैकिंग की जा रही है। रात को जहां टिड्डियों का झुंड पड़ाव डालता है उसके लोकेशन का पता गुजरात की टीमों द्वारा लगाया जाता है। फिर भारत सरकार की लोकस्ट कंट्रोल की टीम तथा ट्रैक्टर माउंटेड गुजरात की टीमें सुबह सात से 11 बजे के दौरान दवाइयों का छिड़काव कर टिड्डियों का नियंत्रण करती है।
श्री परमार ने कहा कि 24 दिसंबर तक लोकस्ट कंट्रोल टीम की मदद से कुल 1815 हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशक दवाइयों मेलाथियोन-96 फीसदी का छिड़काव कर टिड्डियों का नियंत्रण किया गया है। गुरुवार को थराद के चार गांवों में 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण का कार्य किया गया है। मेलेथियोन-96 फीसदी दवाई अत्यंत जहरीली होती है इसलिए छिड़काव वाले क्षेत्र में आसपास के क्षेत्र के लोगों एवं पशुओं को आने से रोकने की सतर्कता भी रखी जाती है।
उन्होंने कहा कि दोपहर के बाद टिड्डी ऊंचाई पर उड़ते हैं इसलिए इस वक्त उनका नियंत्रण संभव नहीं होता। हालांकि रात के समय टिड्डी पड़ाव डाल बैठ जाते हैं, लेकिन रात को टिड्डी अपने शरीर के छिद्रों का संकुचन कर लेता है और श्वसन क्रिया भी मंद चलती है। इसलिए रात को दवाई का छिड़काव करने पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त नहीं किया जा सकता। अतः सुबह सूर्योदय के बाद कीटनाशक छिड़काव का कार्य शुरू किया जाता है। टिड्डी नियंत्रण के लिए बनासकांठा एवं कच्छ में भारत सरकार के लोकस्ट कंट्रोल कार्यालय कार्यरत हैं। राज्य सरकार का लगातार उनके साथ समन्वय बनाए हुए है।
उन्होंने कहा कि हवा की दिशा के आधार पर टिड्डियों का झुंड गति करता है और रात को पड़ाव डालता है। फिलहाल हवा की दिशा के आधार पर थराद तहसील के आंतरोल, रडका, अजावाड़ा और नारोली गांव के आसपास नजर आए टिड्डी राजस्थान की ओर हवा की दिशा के आधार पर गति कर रहे हैं और दिशा बदलने पर दोबारा इस क्षेत्र में आ रहे हैं। टिड्डियों के कुछ छिटपुट दल दांता, सुईगाम, दांतीवाड़ा और वडगाम तहसील में नजर आए हैं। कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि टिड्डियों का उपद्रव अभी और थोड़े दिन रहने की संभावना है। समूचा तंत्र उसके नियंत्रण के लिए कार्यरत है। कलक्टर और जिला प्रशासन को टिड्डी नियंत्रण संबंधी काम करने के लिए हर प्रकार की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए और उपयुक्त स्टाफ और साधनों द्वारा काम करने की स्वीकृति दी गई है।
अनिल, शोभित
वार्ता
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