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राज्य


राजस्थान में किसानों को न्यूनतम ब्याज पर ऋण

जयपुर 28 मार्च (वार्ता)राजस्थान के सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने कहा कि राजस्थान में पशुपालकों को ऋण सुविधा सहकारी बैंकाें एवं भूमि सहकारी विकास बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है।
श्री किलक ने आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक अमृत लाल के प्रश्न का जवाब देते हुये कहा कि नाबार्ड के मानदण्डों के अनुसार 60 हजार रुपये की कीमत को एक यूनिट माना जाता है तथा ऋण चुकाने की क्षमता के आधार पर ऋण दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अलवर के केन्द्रीय बैंक द्वारा डेयरी के लिए 44 लाख रुपये का ऋण दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई किसान अपने विद्युत कनेक्शन के संबंध में डिमांड राशि जमा कराना चाहता है, तो भी वह केन्द्रीय सहकारी बैंक या किसी विकास बैंक से ऋण ले सकता है तथा भूमि विकास बैंक से 7.10 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है, जो राजस्थान के बैंकोें द्वारा दिये जाने वाले ऋणों में सबसे कम ब्याज दर है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत पर ग्राम सेवा सहकारी समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। ग्राम सेवा सहकारी समिति एक स्वतंत्र निकाय है। उसके कार्मिक संस्था के कार्मिक हैं। कार्मिकों को वेतन भी संस्था द्वारा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास रहता है कि ग्राम सेवा सहकारी समिति के गठन के समय सरकार द्वारा अनुदान देकर कार्यालय एवं गोदाम को स्थापित किया जाता है।
श्री अमृतलाल ने सहकारी सेवा समितियों के चुनावों के संबंध में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुये उन्होंने कहा कि करीब 5 हजार 500 सहकारी सेवा समितियों में दिसम्बर के बाद चुनाव ड्यू हुए हैं और यह थ्री टीयर सिस्टम है। जल्दी ही इनके चुनाव करवाए जाएंगे।
कांग्रेस के सुखराम विश्नोई ने ऊंटों को सहायता नही दिये जाने का सवाल उठाते हुये कहा कि राज्य में ऊंटो की दयनीय स्थति हैं। इस पर श्री किलक ने कहा कि सरकार ने ऊंटों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ऊंट को राज्य पशु घोषित किया है तथा राजस्थान ऊंट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ऊंट प्रजनन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 31.25 करोड़ रुपए की (उष्ट्र प्रजनन प्रोत्साहन योजना) 2 अक्टूबर, 2016 को प्रारम्भ की गई है। इस योजना के तहत ऊंट के ब्याने पर उत्पन्न बच्चे की आयु अनुरूप किश्तों मेंं कुल 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता ऊंट पालकों को दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि ऊंट प्रजनन पर सरकार की ओर से प्रथम किश्त के रूप में एक माह तक 3 हजार रुपए, दूसरी किश्त के रूप में 9 माह की आयु पर 3 हजार रुपए एवं तीसरी किश्त के रूप में 4 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पशुपालकों को प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के माध्यम से नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित योजनान्तर्गत डेयरी ,भेड़ बकरी पालन सुअर पालन हेतु ऋण दिया जा रहा है। दीर्घकालीन ऋणों को समय पर चुकाने वाले कृषकों को राज्य सरकार द्वारा पांच प्रतिशत ब्याज अनुदान उपलब्ध कराये जाने के फलस्वरूप प्रभावी ब्याज दर 7.10 प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध हो रहा है।
अजय रमेश
वार्ता
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