मथुरा,01 सितम्बर (वार्ता)अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)की अगुवाई में बनी राष्ट्रीय जनतात्रिक गठबंधन सरकार (एनडीए) द्वारा किया गया राफ़ेल समझौता नहीं बल्कि घोटाला है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने शनिवार को यहां पत्रकारों से कहा कि यह रक्षा सौदे का बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने सौदे के तथ्यों की जानकारी के लिए संयुक्त संसदीय दल(जेपीसी) बनाये जाने की मांग की।
सूश्री चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि इस डील में न केवल देशहित को दांव पर लगा दिया गया है बल्कि पूंजीपति मित्र को फायदा देने के लिए सरकारी खजाने का नुकसान किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस करार से सरकारी खजाने को 41,205 करोड़ रूपए का चूना लगा है। उन्होंने इस दिशा में यूपीए सरकार के समय प्रारंभ किये गए करार का जिक्र करते हुए बताया कि एयरफोर्स की मांग पर तथा पूरे डिफेन्स प्रोक्योरमेन्ट प्रोसीजर को अपनाते हुए उस समय इसकी खुली अंतर्राष्ट्ऱीय बोली हुई थी। 12 दिसम्बर , 2012 को हुई खुली अंतर्राष्ट्ऱीय बोली में 126 रा़फेल लड़ाकू विमान खरीदे जाने थे तथा प्रत्येक लड़ाकू विमान का मूल्य 526 करोड़ 10 लाख रूपए था। 18 लड़ाकू विमान फ्रांस से बनकर आने थे जबकि 108 लड़ाकू विमान भारत की 70 साल की अनुभवी कम्पनी हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड द्वारा ’’ ट्रांसफर आफ टेक्नालाॅजी ’’के तहत भारत में बनाए जाने थे। इस मूल्य के तहत 36 लड़ाकू विमानों की कीमत 28,940 करोड़ रूपए आती।
उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस, फ्रांस में 1670 करोड़ 70 लाख प्रति लड़ाकू विमान की दर से 36 राफेल लड़ाकू विमानो के लिए 60,145 करोड़ रूपए में ’’आफ दि शेल्फ’’इमरजेंसी खरीद की घोषणा 12 दिन पुरानी नई कम्पनी के पक्ष में कर डाली। आश्चर्य तो यह है कि इन विमानों के मूल्य को सुरक्षा का बहाना लेकर छिपाया जा रहा है जब कि सुरक्षा तकनीकी की हो सकती है पर मूल्य की नही होती।
उनका कहना था कि इस मूल्य की पुष्टि डसाल्ट एविएशन की वार्षिक रिपोर्ट 2016 एवं रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड की प्रेस विज्ञप्ति से होती है। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है कि वो इस बात को स्पष्ट करें कि सरकारी खजाने से 41, 205 करोड़ रूपए क्यों लुटाए जा रहे है तथा बेहतर रेकार्ड के बावजूद पीएसयू हिंन्दुस्तान एयरोनोटिक़़्स को किनारे लगाते हुए तथा रक्षा मामलों में एक नवजात अनुभवहीन कम्पनी को इस मामले में क्यों वरीयता दी जा रही है।
सं मुसन्ना तेज
वार्ता