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संगीत में फूहड़ता के चलते आयी है सामाजिक मूल्यों में गिरावटःतृप्ति शाक्या

जौनपुर ,05 नवम्बर (वार्ता) सिने जगत की मशहूर पार्श्व गायिका एवं हिन्दी एवं भोजपुरी गीतों के माध्यम से लगभग तीन दशकों से दिलों पर राज करने वाले सुरीली आवाज की धनी तृप्ति शाक्या ने कहा कि फूहड़ता परोसे जाने वाले गीत-संगीत से सामाजिक मूल्यों में गिरावट आयी है।
जिले के मुंगराबादशाहपुर नगर के गुड़हाई मोहल्ले में स्थित पीसीसी सदस्य विश्वनाथ गुप्ता के आवास पर संवाददाताअें से तृप्ति ने कहा कि आज युवा वर्ग जिस प्रकार से पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहा है, उसी में हमारे तमाम सिने जगत के लोग भी अपने व्यवसाय के चक्कर में सहयोगी बनते जा रहे हैं । इससे हमारे समाज में जहां नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है, वहीं हमारी सामाजिक संरचना भी विकृति होती जा रही है। साथ ही हमारी संस्कृति और सभ्यता को लोग भूलते जा रहे हैं। दशकों पहले जब मैंने टी सीरीज के साथ मिलकर भगवान श्री कृष्ण के भजन का एलबम सूट किया उसने मुझे गीत-संगीत की इस दुनिया में प्रसिद्धि दिलाते हुये मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।
हिन्दी और भोजपुरी क्षेत्र के संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाली सुरों की धनी तृप्ति ने कहा कि किसी भी गीत एवं संगीत का निर्माण करते समय इस बात अवश्य ध्यान देना चाहिये । ऐसे संगीत से देश के युवा वर्ग एवंर संस्कृति तथा सभ्यता पर इसका क्या असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जो काम बड़े-बड़े नेता और राजनीतिज्ञ नहीं कर पाते, वह बड़े से बड़ा काम हमारे बालीवुड एवं सिने जगत के लोग आसानी से कर ले जाते हैं, क्योंकि बालीवुड एवं सिने जगत को मानने वाले लोगों की संख्या देश में बहुतायत है। ऐसी स्थिति में हम सभी का यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम अपने गीत-संगीत एवं फिल्मों में हमेशा अपनी सभ्यता, संस्कृति एवं अपने समाज को संस्कारित एवं शिक्षित बनाने के साथ अपने युवाओं को एक सही रास्ता दिखाने के लिये कार्य करें।
देश में आये दिन महिलाओं एवं बच्चियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार एवं आपराधिक घटनाओं के बाबत पूछे जाने पर सुर सामग्री ने कहा कि यह हमारे देश की विडम्बना है कि आजादी के लगभग 75 सालों के बाद भी हमारे देश में महिलाएं एवं बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। सरकारें बेटी बढ़ाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा तो जरूर देती हैं लेकिन उन्हें आगे बढ़ाने के लिये सुरक्षित तथा निर्भीकता का माहौल नहीं उपलब्ध करा पाती।
उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग,धर्म के लोगों को यह चाहिये कि वह हमारी प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता से सीख लें और महिलाओं एवं बेटियों के विषय में गम्भीरता से सोचें, क्योंकि हर कोई बेटी, किसी की बहन बनेगी, किसी की बहू बनेगी, किसी की पत्नी बनेगी और किसी की मां बनेगी। यदि उसे कलंकित कर दिया जायेगा तो आगे चलकर वह जहां जायेगी। वह परिवार भी तो कलंकित होगा जब तक हम पुरूष वर्ग के लोग स्वयं जागरूक नहीं होंगे और महिलाओं तथा बच्चियों के विषय में गम्भीरतापूर्वक नहीं सोचेंगे तब तक महिला सुरक्षा की बात करना भी बेमानी होगी।
सं त्यागी
वार्ता
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