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अपराध-कछुआ तस्कर दो अंतिम लखनऊ

श्री सिंह ने बताया कि निरीक्षक राजेश त्रिपाठी के नेतृत्व में एसटीएफ की एक टीम ने सूचना एवं अन्य स्रोतों से जानकारी एकत्र की। मुखबिर के माध्यम से पता चला कि पश्चिम बंगाल से कुछ तस्कर बड़ी संख्या में कछुओं की तस्करी के लिए इटावा और आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय तस्करों के साथ मिल कर तैयारी कर रहे हैं और ट्रक में उनकी सप्लाई करने लखनऊ होते हुए पश्चिम बंगाल जाने वाले है।
इस सूचना पर बन्थरा के पास से मोहनलालगंज को जाने वाली रोड पर चेकिंग की गयी और ट्रक सवार दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से कछुए बरामद किए । इस दौरान उनके साथी तस्कर देवेन्द्र, किशन और सोनू भागने में सफल हो रहे । पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है । इस सिलसिले में सामाजिक वानिकी प्रभाग, लखनऊ वनरेंज में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत अभियोग पंजीकृत कराये जाने की कार्रवाई की जार ही है।
श्री सिंह ने बताया कि वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो भारत सरकार की पहल पर एसटीएफ ने पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में कछुओं की तस्करी पर प्रभावी कार्रवाई की है। भारत में कछुओं की पाईजानेवाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियाँ उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के माँस अथवा पालने के साथ उनकी कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्ति वर्धकदवा के लिए किया जाता है।
उन्होंने बताया कि कछुओं को मुलायम कवच तथा कठोर कवच के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यमुना, चम्बल, गंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक आदि नदियों के अलावा उनकी सहायक नदियों, तालाबों में ये दोनोें प्रकार के कछुए बहुतायत में पाए जाते हैं।
त्यागी
वार्ता
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