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कोर्ट डायरी को अभियोजन अधिकारी से परीक्षण कराना हुआ अनिवार्य

हमीरपुर 05 दिसम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशानुसार अब अपराधिक मामलों को अदालत में प्रस्तुत करने से पहले पुलिस विवेचक को कोर्ट डायरी अभियोजन अधिकारी को दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है।
हमीरपुर के जिला न्यायाधीश ने इस संबंध में पुलिस प्रशासन को जरूरी दिशा निर्देश दिये हैं। अदालत ने कहा है कि महिला विरोधी अपराध की डायरी को प्राथमिकता के आधार पर परीक्षण कर उनमें विधिक त्रुटियों को पुलिस अधिकारियों से निराकरण कराने के बाद ही मामले को अदालत में प्रेषित किया जाये। आरोप पत्र में फोरेन्सिक टीम की रिपोर्ट लगाना अनिवार्य होगा।
अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक बीएल वर्मा ने बुधवार को बताया कि अापराधिक मामलों की विवेचना के दौरान विवेचकों द्वारा गंभीर त्रुटियां करने पर उच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है। ज्यादातर पुलिस अधिकारी विवेचना कर मामले को सीधे अदालत में प्रेषित कर देते थे हालांकि सीधे पुलिस विवेचक द्वारा कोर्ट डायरी को अदालत मे पेश न करने के पहले भी आदेश थे मगर विवेचक इस कार्य मे लापरवाही बरत रहे थे लिहाजा उच्च न्यायालय ने इस मामले में अब कड़ा रुख अख्तियार किया है।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि अापराधिक मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्य जैसे वस्त्रों , हथियार इत्यादि पर मौजूद होते है,उनका परीक्षण विधि विज्ञान प्रयोगशाला से कराकर विवेचकों द्वारा नहीं भेजा जा रहा है जिससे कई मर्तवा अपराधी सजा पाने से बच जाते है। लिहाजा प्रत्येक विवेचना को पूर्ण होने के बाद आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करने के पहले अभियोजन अधिकारी से कोर्ट डायरी का परीक्षण अवश्य करा लिया जाये।
संयुक्त निदेशक ने बताया कि इस मामले का एक लिखित आदेश जिला न्यायाधीश पीके कंसल ने जिले के सभी पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को भिजवा दिया है। अदालत ने यह अपेक्षा की है कि कई मर्तवा विवेचक कोई वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत नही कर पाता है जो निर्णय के तात्विक रुप से प्रभावित करता है। ऐसे मामले में विवेचक को आदेश देकर साक्ष्यों को अवश्य संकलित कराया जाये।
सं प्रदीप
वार्ता
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