राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 15 2019 2:18PM उत्तर प्रदेश छुट्टा रिपोर्ट दो अंतिम मथुराश्री पाठक ने बताया कि गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार,नागपुर,महाराष्ट्र में छुट्टा जानवरों के लिए अपनाई गई उस तरकीब को अपनाने की सलाह दी गई है जिसमें उनके पेशाब एवं गोबर का सही उपयोग कर आत्मनिर्भर बनाया गया है जहां गोमूत्र से दवाइयां बनाई जा रही हैं वहीं बैलों के मूत्र से इन्सेक्टीसाइड बनाए जा रहे हैं। गोबर का अधिक उपयोग वर्मी कम्पोस्ट बनाकर आर्गैनिक खेती में योगदान दिया जा रहा है। समिति ने छुट्टा जानवरों के मूत्र और गोबर से बनी दवाओं आदि पर सरकार द्वारा छूट देने की भी संस्तुति की है और कहा गया है कि दूध के एकत्र करने के केन्द्रों की तरह इस व्यवस्था को और अधिक जनसहयोग भी मिल सकता है। उन्होने बताया कि चूंकि निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना तुरंत नहीं की जा सकती और छुट्टा जानवरों से किसान परेशान हो रहे हैं इसलिए फिलहाल इन आश्रय स्थलों को बंद पड़ी चीनी मिलों, चारागाह की जमीनों, मंडी परिषद, बंद पड़े सरकारी शिक्षण संस्थानों आदि में खोला जा सकता है। समिति के अध्यक्ष ने बताया कि समिति ने निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल द्वारा बनाए गए प्रोडक्टस की मार्केटिंग कराने सरकारी सहयोग की जहां संस्तुति की है वहीं यह भी कहा है कि सांसद और विधायक निधि से इन आश्रय स्थलों को कुछ राशि देना आवश्यक कर दिया जाना चाहिए। समिति ने आश्रय स्थलों में रखे जानवरों के चारे में लिए प्रति जानवर प्रतिदिन 100 रूपए के हिंसाब से सरकार द्वारा देने की संस्तुति की है साथ ही मनरेगा, वित्त आयोग आदि से भी आश्रय स्थलों को धनराशि देने की संस्तुति की है।सं प्रदीपवार्ता