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झांसी: बुंविवि में सुभाष चंद्र बोस को दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि

झांसी 23 जनवरी (वार्ता)आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले क्रांतिकारियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 122वी ं जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में बुधवार को भावपूर्वक याद किया गया।
इस अवसर में विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में आयोजित विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए विभाग के समन्वयक डा़ कौशल त्रिपाठी ने कहा कि देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वालों में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम प्रमुखता से याद किया जाता है। इसकी मुख्य वजह यही रही कि उन्होंने अंग्रेजों को शस्त्र के बल पर देश से बाहर निकालने का ऐलान किया। इसी क्रम में उन्होंने आजाद हिंद फौज के माध्यम से देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने समय में अपनी मेधा और श्रम के बल पर उन दो पदों को हासिल किया जो औरों के लिए सपनाभर था लेकिन आजादी की लड़ाई में योगदान की प्रबल लालसा के चलते उन्होंने बड़े पदों को त्यागने में भी कोई हिचक नहीं दिखाई। वे सदैव देश के लिए सोचते रहे।
विभाग के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने कहा कि देशप्रेम की भावना सुभाषचंद्र बोस में कूट.कूटकर भरी हुई थी। शायद यही वह सबसे बड़ा कारण था कि नेताजी ने आईसीएस का पद छोड़कर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने का संकल्प लिया। वह संकल्प के बहुत धनी थे। नेताजी का जीवन राष्ट्रवाद, मानव जाति के कल्याण और मानव जीवन के उच्चतम आदर्शों सत्यम, शिवम और सुुंदरम से प्रेरित रहा। अपने दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर उन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए।
इससे पहले कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षक उमेश शुक्ल ने विद्यार्थियों को नेताजी के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नेताजी का जीवन बहुत अनुशासित रहा। वह मानते थे कि एक सैनिक के रूप में देश के नागरिकों को हमेशा तीन आदर्शों को अपने दिल में संजोये रखना होगा। यही नहीं इन तीन आदर्शों को उन्हें अपने व्यवहार में उतारकर जीना होगा। ये तीन आदर्श हैं सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। आाजाद हिंद के सेनानियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर आप सभी अजेय बनना चाहते हो तो तीन आदर्शों को अपने हृदय में समाहित कर लो। जहां स्वतंत्रता से पूर्व विदेशी शासक नेताजी के सामर्थ्य से घबराते रहे, तो स्वतंत्रता के उपरांत देशी सत्ताधीश जनमानस पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के अमिट प्रभाव से घबराते रहे। शायद यही कारण रहा कि उनकी मृत्यु की गुत्थी अनसुलझी ही रह गई।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों अनुरुद्ध कुमार, रोहित कुमार गुप्ता, भावेश प्रकाश, प्रिंसी यादव, राहुल पाल ने भी नेताजी के जीवन पर विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों सेजल जैन और अभीष्ट श्रीवास्तव ने नेताजी को याद करते हुए कविताओं का पाठ किया। इस कार्यक्रम में सतीश साहनी, अभिषेक कुमार, डा. उमेश कुमार समेत सभी शिक्षक उपस्थित रहे।
सोनिया
वार्ता
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