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अर्धकुम्भ को कुम्भ की मान्यता के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष ने लिखा प्रमुख संतों को पत्र

कुम्भ नगर, 28 जनवरी (वार्ता) विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने राज्य सरकार द्वारा तीर्थराज प्रयाग में अर्धकुम्भ को कुम्भ की संज्ञा दिये जाने के विरोध में स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ समेत कई प्रमुख संतों को पत्र लिखा है।
स्वामी अधोक्षजानंद ने सोमवार को बताया कि नेता प्रतिपक्ष ने चार पेज के अपने पत्र में लिखा है कि पौराणिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष तीर्थराज प्रयाग में अर्धकुम्भ का आयोजन है, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने इन सभी तथ्यों और ग्रहों-नक्षत्रों के योग को नकारते हुए जबरदस्ती इसे पूर्ण कुम्भ की संज्ञा दे दी है।
उन्होंने बताया कि नेता प्रतिपक्ष ने इनके अलावा बैरागी वैष्णव सम्प्रदाय के अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनि अखाड़ा के महंत स्वामी धर्मदास, पंच रामानंदी निर्मोही अनि अखाड़ा के महंत राजेन्द्र दास, पंच दशनाम जूना अखाडा के संरक्षक हरि गिरी जी महराज एवं टीकरमाफी आश्रम के ब्रह्मचारी हरि चैतन्य महराज पत्र भेजा है।
उन्होंने कहा है कि प्रयाग के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी हर बारहवें वर्ष कुम्भ का आयोजन होता है। प्रयागराज में हर साल माघ मेला और हर छठे साल अर्धकुम्भ के आयोजन की भी परंपरा है। श्री चैधरी ने इस मामले में सरकार से पूछा है कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार छह साल में ही कुम्भ का आयोजन कर रही है तो क्या हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी छह वर्ष में कुम्भ मनाया जाएगा।
स्वामी अधोक्षजानंद ने बताया कि श्री चौधरी ने अपने पत्र में कहा कि प्रदेश सरकार जिसके मुखिया स्वयं एक संत हैं, ने अर्धकुम्भ को कुम्भ करने का विधेयक भी विधानसभा में लायी थी, जिसका विपक्षियों ने जमकर विरोध किया था। फिर भी सरकार ने अपने बहुमत के आधार पर इसे पारित करा लिया था।
उन्होंने बताया नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि सरकार के इस निर्णय न केवल देश के श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंच रही है बल्कि पूरी दुनिया में गलत संदेश जा रहा है। ऐसे में उन्होंने संतों और महात्माओं से अपील की है कि वे सनातन संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने के लिए इस विषय पर गहन विचार करें और अर्धकुम्भ व कुम्भ आदि काल से चली आ रही परंपरा को जीवंत रखें।
स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने बताया कि राम गोविंद चैधरी का पत्र उन्हें मिला है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अर्धकुम्भ को कुम्भ की संज्ञा भले दी है, लेकिन अधिकतर श्रद्धालु और संत इसे अर्धकुम्भ के रुप में ही ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में प्रयाग में कुम्भ का आयोजन हुआ था। गणना के अनुसार यहां का अगला कुम्भ अब 2025 में होगा। इस वर्ष तो अर्धकुम्भ का ही आयोजन है।
दिनेश त्यागी
वार्ता
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