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वाराणसी में उमड़ा अस्था का सैलाब, विश्वनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार

वाराणसी, 06 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ‘कुंभ’ में गंगा, जमुना एवं सरस्वती के संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने वाले लाखों श्रद्धालुओं के सैलाब उमड़ने का सिलसिला बुधवार को भी यहां जारी रहा।
अधिकारिक सूत्रों का अनुमान है कि गत दिनों में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में करीब 25 लाख लोगों ने बाबा भोले के दर्शन किये।
मौनी अमावस्या पर सोमवार को संगम तट पर स्नान और कुंभ मेला देखने के बाद लाखों श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों ने प्रचीन धार्मिक नगरी वाराणसी का रुख किया। बुधवार रात तक ट्रेनों एवं बसों से उनके यहां आन का सिलसिला जारी है। इस वजह से शहर के प्रमुख क्षेत्रों में यातायात जाम की स्थिति बनी रही।
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी, नगर पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह एवं यातायात पुलिस अधीक्षक सुरेश चंद्र रावत समेत कई आला अधिकारी जगह-जगह खुद सड़कों पर चलकर व्यवस्था बनाये रखने की कोशिश में जुटे रहे। अधिकांश जगहों पर पुलिस मुस्तैद दिखी लेकिन आम लोगों परेशान बनी रही। सुरक्षा कर्मियों और वाहन चालकों के बीच कई जगहों पर नोंक-झोंक हुई।
सूत्रों ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास की सड़कों पर तड़के चार बजे से कतारें लगने का शुरु हुआ सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। बाबा के दर्शन के लिए ढाई-तीन किलोमीटर लंबी कतारें दिनभर लगी रहीं। चार-पांच घंटे लंबे इंतजार के बाद बहुत से श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर सके, लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। वे रुक-रुक कर ‘‘हर-हर महादेव और बाबा विश्वनाथ की जय” के जयकारे लगाते रहे।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा दशाश्वमेध एवं शितला माता घाटों आसपास तड़के चार बजे से शाम करीब सात बजे तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। दोनों घाटों पर शाम में होने वाली शाम की भव्य गंगा आरती में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। बहुत से लोग शाम करीब पांच बजे भी गंगा में पवित्र डुबकी लगाते नजर आये।
दर्शनार्थियों की भारी भीड़ से जगह-जगह यातायात जाम से स्थानीय निवासियों एवं स्कूली बच्चों को सबसे अधिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है। स्थानीय दशाश्वमेध निवासी सुनील यादव और रंजन शर्मा ने बताया कि वे और उनकी तरह सैकड़ों लोग करीब दो-तीन किलोमीटर पैदल चलकर बच्चों को स्कूल पहुंचाने को मजबूर हैं। उनके लिए भी मोटरसाइिकल एवं साइकिल लाने-ले जाने की भी इजाजत नहीं है।
श्री विश्वनाथ मंदिर और ऐतिहासिक दशाश्वमेध एवं आसपास के घाटों की ओर जाने वाले तमाम मार्गों पर रविवार रात से ही हर प्रकार के वाहनों पर प्रतिबंध लगा है। यह प्रतिबंध सुबह से देर रात तक रहता है। लाखों स्थानीय निवासियों के लिए पैदल चलकर घर पहुंचने के अलावा कोई चारा नहीं।
वाराणसी (कैंट) रेलवे स्टेशन श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों से पटा हुआ है। स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के तमाम इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। कड़ाके की सर्दी के बीच स्टेशन के अंदर और बाहर खुले आसमान में बहुत से लोग जमीन पर बैठकर या लेटकर बीताने को मजबूर हैं। भीड़ इतनी है कि यात्रियों को स्टेशन से बाहर निकलने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बीरेंद्र त्यागी
वार्ता
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